भोपाल, मध्यप्रदेश में कोरोना संकटकाल के बीच 28 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनावों के लिए प्रचार अभियान की निर्धारित समयावधि आज शाम छह बजे समाप्त होने के साथ चुनावी शोरगुल थम जाएगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चुनावी शोरगुल थमने के बाद प्रत्याशी घर घर जाकर जनसंपर्क कर सकते हैं। इन सभी 28 विधानसभा क्षेत्रों में तीन नवंबर को मतदान सुबह सात बजे प्रारंभ होकर शाम छह बजे तक चलेगा और मतगणना 10 नवंबर को होगी। इन सभी क्षेत्राें में 12 मंत्रियों समेत 355 प्रत्याशियों की किस्मत दाव पर लगी है।
इस बीच राज्य में सत्तारुढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस चुनाव प्रचार के अंतिम दिन आज पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य भाजपा नेता पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में अंतिम दिन और जोर लगा रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी अंतिम दिन मुरैना जिले में कांग्रेस के पक्ष में प्रचार में जुटे हैं। बसपा और अन्य दल के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी अपनी क्षमता के अनुरूप प्रचार अभियान में जुटे हैं।
कुल 28 सीटों में से 25 पर संबंधित विधायकों के त्यागपत्र और 03 अन्य पर संबंधित विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है। इन 28 सीटों में से 27 पर कांग्रेस का और एकमात्र आगर सीट पर भाजपा का कब्जा था।
दो सौ तीस सदस्यीय राज्य विधानसभा में वर्तमान में 221 विधायक हैं। इनमें से भाजपा के 107, कांग्रेस के 87, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। कुल 29 सीट रिक्त हैं, जिनमें से 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। दमोह सीट हाल ही में कांग्रेस विधायक राहुल सिंह के हाल ही में विधायक पद से त्यागपत्र देने के कारण रिक्त हुयी है।
चुनाव प्रचार अभियान के दौरान इस बार दोनों ही दलों के नेताओं की ओर से सार्वजनिक तौर पर अमर्यादित टिप्पणियां भी देखने को मिलीं। इन मामलों में निर्वाचन आयोग ने सभी संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की है। अभियान में जहां भाजपा नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार की नीतियों पर हमलावर दिखायी दिए, तो कांग्रेस नेताओं ने ‘बिकाऊ और टिकाऊ’ के आधार पर अपना अभियान केंद्रित रखा।
कांग्रेस नेता इस वर्ष मार्च माह में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तीखे हमला करने से नहीं चूके। दरअसल श्री सिंधिया की बगावत के कारण ही राज्य की तत्कालीन कमलनाथ सरकार का पतन हुआ था।
राज्य में जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, करैरा, पोहरी, बामोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, मलहरा, अनूपपुर, सांची, ब्यावरा, आगर, हाटपिपल्या, मांधाता, नेपानगर, बदनावर, सांवेर और सुवासरास विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। इनमें से 16 सीट ग्वालियर चंबल अंचल से हैं।