नई दिल्ली, भारत मे विविधता मे एकता की तरह भारतीय राजनीति मे भी कई परिवारों मे विविधता मे एकता की मिसाल देखने को मिलती है। जहां एक ही परिवार के कई सदस्य कई राजनैतिक दलों मे शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ मे पूर्व मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गईं। ऋचा जोगी को शुक्रवार को बसपा की औपचारिक सदस्यता मिली। ऋचा जोगी ने बीते रविवार को बसपा की सदस्यता के लिए आवेदन दिया था. बसपा के दो प्रदेश प्रभारी लालजी वर्मा और एमएल भारती अजीत जोगी के बंगले पर पहुंचे और ऋचा जोगी को बसपा में औपचारिक रूप से शामिल करवाया।
सूत्रों के अनुसार, ऋचा जोगी बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर अकलतरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं। अकलतरा सीट से 2008 में बसपा प्रत्याशी जीता था। यह भी संभावना है कि ऋचा जोगी के अलावा जोगी कांग्रेस की गीतांजलि पटेल भी बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं।
बहू ऋचा के बसपा में शामिल होने के बाद, जोगी परिवार ने एक नया रिकार्ड अपने नाम बना लिया है। छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित राजनैतिक परिवार के तीन सदस्य तीन पार्टियों में पहुंच गए। जोगी खुद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस अध्यक्ष हैं। उनकी पत्नी रेणु कांग्रेस मे हैं और अब ऋचा जोगी बहुजन समाज पार्टी में हैं। अजीत प्रमोद कुमार जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
बिलासपुर के पेंड्रा में जन्में अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी की। वे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सुझाव पर राजनीति में आये। वे विधायक और सांसद भी चुने गये। 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ बना तो राज्य का पहला मुख्यमंत्री अजीत जोगी को बनाया गया।
इसीके साथ, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के अध्यक्ष अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी ने घोषणा की है कि उनके पिता अजीत जोगी विधानसभा चुनाव में किसी सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होने बताया कि सबके सुझाव के बाद यह फैसला लिया गया है।महागठबंधन होने के बाद जोगी की सभाओं, दौरों और प्रचार कार्यक्रमों की संख्या दोगुनी हो गई है। उनका समय 90 विधानसभाओं में सही ढंग से बंटना चाहिए। चुनाव लड़ने की स्थिति में यह संभव नहीं था। मायावती व अन्य सहयोगियों ने कहा कि जोगी को एक विधानसभा सीट तक सीमित रखना उचित नहीं है। उन पर पूरी 90 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी है, इसलिए पार्टी ने उन्हें चुनाव नहीं लड़ाने का निर्णय लिया।