खेतों के बजाय सड़कों पर उतरे किसान व खेत मजदूर, जानिये क्यों ?
August 10, 2018
लखनऊ, जिस किसान और खेत मजदूरों को खेतों पर होना चाहिये आज वे आंदोलित होकर सड़कों पर हैं। मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों से नाराज, हजारों किसानों एवं खेत मजदूरों ने गिरफ्तारी दी।
अखिल भारतीय किसान महासभा के देशव्यापी जेल भरो आह्वान पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश में करीब 6000 किसानों और खेत मजदूरों ने गिरफ्तारी दी। कम्युनिस्ट पार्टी माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने भी गिरफ्तारी दी।
किसान महासभा ने भारत छोड़ो दिवस नौ अगस्त को किसानों की प्रमुख मांगों – कर्जमुक्ति, फसल लागत का ड्योढ़ा मूल्य, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर अमल, बंटाईदारों के हक में कानून निर्माण आदि पर देशभर में जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया था।भाकपा माले और खेत तथा ग्रामीण मजदूर सभा ने आंदोलन को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी। जगह-जगह पार्टी के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल हुए। माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने राबर्ट्सगंज सोनभद्र में गिरफ्तारी दी।
राजधानी लखनऊ में माले और जनसंगठनों के कार्यकर्ताओं ने किसान मांगों के समर्थन में परिवर्तन चौक पर गिरफ्तारी दी।किसान नेताओं ने इस मौके पर कहा कि मोदी सरकार द्वारा हाल में घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य ;एमएसपी और केंद्रीय कृषि मंत्री द्वार उसे स्वामीनाथन आयोग के अनुरूप बताना किसानों की आँखों में धूल झोंकने के बराबर है। आर्थिक तंगी के चलते किसान आत्महत्या कर रहे है। कृषि पर संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है।
जेल भरो आंदोलन के दौरान राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन में उपरोक्त मांगों के अतिरिक्त कृषि भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाने, कुल उपज की सरकारी खरीद और वक्त पर भुगतान की गारंटी करने, गन्ना बकाये का जल्द भुगतान करने, मनरेगा में 200 दिन काम और 500 रुपये मजदूरी देने, भूमिहीनों को खेती-आवास के लिए भूमि देने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने की मांग उठाई गई।
किसान महासभा के सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने यहां बताया कि प्रदेश में जेल भरो आन्दोलन के दौरान चंदौली में 1500, गाजीपुर में 1000, मिर्ज़ापुर में 600 लखीमपुर खीरी में 500 फैजाबाद में, 400 बाँदा में 400, बलिया 310, जालौन 230, सीतापुर में 210, भदोही में 150, मऊ में 150, रायबरेली में 114, सोनभद्र में 110, मथुरा में 100, लखनऊ में , पीलीभीत और मुरादाबाद में 50-50 , आजमगढ़ में 40 और गोरखपुर 30 की संख्या में किसान और खेत मजदूरों ने गिरफ्तारी दी। प्रशासन ने बाद में सभी को रिहा कर दिया।