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विदेश में फंसे छात्र के पिता ने सरकार को दी चुनौती, हुई ये कार्यवाही

नयी दिल्ली,  दिल्ली उच्च न्यायालय ने  एक याचिका पर केंद्र और उड्डयन नियामक नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से उस आदेश पर जवाब तलब किया जिसमें कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर यूरोपीय संघ (ईयू), ब्रिटेन, तुर्की और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के सदस्य देशों से आने वाले यात्रियों के 18 मार्च से देश में आने पर रोक लगाई गई है।

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न्यायमूर्ति जेआर मिधा और न्यायमूर्ति आईएस मेहता ने स्वास्थ्य मंत्रालय, गृह मंत्रालय और डीजीसीए को नोटिस जारी कर याचिका पर उनका जवाब मांगा है। इस याचिका में यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, तुर्की और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के सदस्य देशों से आने वाले यात्रियों पर रोक लगाने के लिए 16 मार्च को जारी आदेश को स्कॉटलैंड में फंसे एक भारतीय छात्र के पिता ने चुनौती दी है। इससे पहले मामले का उल्लेख न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायूमर्ति आईएस मेहता की पीठ के समक्ष किया गया जिसने सुनवाई पर सहमति जताते हुए दिन में मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

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हालांकि, पीठ ने स्वयं मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया क्योंकि न्यायमूर्ति मृदुल की बेटी भी ब्रिटेन में फंस गई हैं। न्यायमूर्ति मृदुल ने मामले को अन्य पीठ में सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए केंद्र से कोरोना प्रभावित देशों में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने पर विचार करने को कहा, जैसा कि चीन में किया गया था। न्यायमूर्ति मिधा की पीठ के समक्ष जब मामला सुनवाई के लिए आया तब मंत्रालयों की ओर से केंद्र सरकार के अधिवक्ता अमित महाजन पेश हुए और उन्होंने अदालत से कहा कि गृह मंत्रालय को मामले में शामिल करे क्योंकि यात्रा परामर्श एवं प्रतिबंध आव्रजन ब्यूरो ने जारी किया है जो गृहमंत्री के अधीन है। इसके बाद अदालत ने गृह मंत्रालय को पक्षकार बनाया।

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याचिकाकर्ता रमेश चंद्र गोयल ने दावा किया कि स्कॉटलैंड कोरोना वायरस के संक्रमण का सामना कर रहा है और वहां पर खाद्य वस्तुओं और दवाओं की कमी है। गोयल ने कहा कि उनका बेटा और नौ अन्य भारतीय एडिनबर्ग स्थित हेरियट वाट विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हैं और संक्रमित नहीं है। उन्होंने चीन और ईरान से निकाले गए भारतीयों की तरह इन छात्रों को भी भारत लाने की मांग की। गोयल के वकील ने अदालत को बताया कि भारतीय उच्चायोग इन छात्रों की कोई मदद नहीं कर रहा है।

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गोयल का विरोध करते हुए महाजन ने कहा कि छात्रों को लौट आना था और अबतक इंतजार नहीं करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस वक्त जरूरत के समय दुनिया में हरकोई चौबीसों घंटे एक दूसरे की मदद करने के लिए काम कर रहा है और भारत अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए हर प्रयास कर रहा है। महाजन ने कहा कि यात्रा प्रतिबंध केवल 28 मार्च तक ही है। पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख 25 मार्च तय की दी।

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