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इस प्रार्थना पर दर्ज हुई FIR, प्रिंसिपल निलंबित शिक्षा मित्र के ख़िलाफ़ जाँच

लखनऊ,  बरेली में एक सरकारी स्कूल में मुहम्मद इक़बाल की कविता ‘लब पे आती है दुआ’ का पाठ करने के मामले में स्कूल की प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है और शिक्षा मित्र के ख़िलाफ़ जाँच के आदेश दिए गए हैं। इन पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने वह पाठ कराकर धार्मिक भावनाओं को आहत किया। दोनों के ख़िलाफ़ विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय पदाधिकारी द्वारा एफ़आईआर दर्ज कराई गई है।

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
ज़िंदगी शम्अ की सूरत हो खुदाया मेरी
दूर दुनिया का मिरे दम से अँधेरा हो जाए
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए
हो मिरे दम से यूँही मेरे वतन की ज़ीनत
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत

ज़िंदगी हो मिरी परवाने की सूरत या-रब
इल्म की शम्अ से हो मुझ को मोहब्बत या-रब
हो मीरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द-मंदों से ज़ईफ़ों से मोहब्बत करना
मिरे अल्लाह! बुराई से बचाना मुझ को
नेक जो राह हो रह पे चलाना मुझ को

यह कार्रवाई तब की गई है जब स्कूल में सुबह की प्रार्थना के दौरान मुहम्मद इक़बाल की कविता ‘लब पे आती है दुआ’ का पाठ करने वाले छात्रों का एक वीडियो वायरल हुआ। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार स्कूल के प्रिंसिपल नाहिद सिद्दीकी और शिक्षा मित्र वज़ीरुद्दीन के खिलाफ फरीदपुर पुलिस स्टेशन में स्थानीय विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी सोमपाल सिंह राठौर ने शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें आरोप लगाया गया था कि विद्यार्थियों का धर्म परिवर्तन करने के लिए सरकारी स्कूल में ‘धार्मिक प्रार्थना’ कराई गई थी। यह भी  आरोप लगाया गया है कि बच्चों को धमकाया जा रहा है कि यही प्रार्थना करनी है। हिंदू संगठन का आरोप है कि छात्र छात्राओं को इस्लाम धर्म की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य से ये किया जा रहा है। शिकायत में एक ओर तो सरकारी स्कूल में मज़हबी प्रार्थना गवाकर बच्चों को इस्लाम की ओर आकर्षित करने का आरोप लगाया गया था, दूसरी ओर उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने का भी आरोप लगाया गया था।

रिपोर्ट के अनुसार  बरेली के बेसिक शिक्षा अधिकारी विनय कुमार ने कहा, “एक प्रार्थना पढ़ी जा रही थी जिसमें कुछ ऐसा कहा गया था, ‘अल्लाह इबादत करना’। यह निर्धारित प्रार्थना नहीं है और इसलिए स्कूल की प्रिंसिपल नाहिद सिद्दीकी को निलंबित कर दिया गया है। मैंने शिक्षा मित्र के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं।”

रिपोर्ट के अनुसार 62 वर्षीय नाहिद सिद्दीकी ने कहा है कि जब कथित घटना हुई तो वह स्कूल में नहीं थीं क्योंकि वह 12 दिसंबर से छुट्टी पर गई थीं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, “मैं चिकित्सा अवकाश पर थी। मेरे छुट्टी पर जाने से पहले, हम प्रतिदिन राष्ट्रगान के साथ निर्धारित प्रार्थना ‘ऐ शक्ति हमें देना दाता’ का पाठ करते थे। मेरी अनुपस्थिति में शिक्षा मित्र ने सुबह की सभा के दौरान ‘लब पे आती है दुआ’ का पाठ करवाया। पहले भी जब शिक्षा मित्र ने मुझे इस प्रार्थना को पढ़ने के लिए कहा, तो मैंने मना कर दिया था।”

‘लब पे आती है दुआ’ 1902 में मुहम्मद इक़बाल द्वारा लिखी गई थी। अल्लामा इकबाल के नाम से भी मशहूर मुहम्मद इक़बाल ने ‘सारे जहां से अच्छा’ गीत लिखा था। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस प्रार्थना में ‘ग़रीबों की हिमायत करने’, ‘दर्दमंदों और ज़ईफ़ों से मोहब्बत करने’ की बात है, जिसमें अल्लाह से ‘नेक राह पर चलाने और बुराई से बचाने’ की दुआ की गई है, उसे ‘अल्लाह’ शब्द के हवाले से धर्मांतरण के आह्वान के तौर पर पेश किया जा रहा है।अल्लामा इक़बाल की जिस प्रार्थना को लेकर विवाद उठाया है, उसे पूरा पढ़कर लोगों को यह देखना चाहिए कि क्या यह  एतराज़ किए जाने लायक़ है?

जिस दिन यह कार्रवाई हुई, उसी दिन मथुरा की एक ज़िला अदालत ने 1991 के प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट की अनदेखी करते हुए श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्ज़िद विवाद में शाही ईदगाह परिसर के आधिकारिक निरीक्षण की इजाज़त दी। 1991 का क़ानून स्पष्ट निर्देश देता है कि अयोध्या के एक मामले को छोड़कर अन्य सभी उपासना स्थल उसी स्थिति में रहेंगे जिस स्थिति में वे 15 अगस्त 1947 को थे। ऐसे में पहले काशी और अब मथुरा के मामले में अदालतों का ऐसा रवैया दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा जो बहुसंख्यक समुदाय की राजनीति करनेवालों के दबाव में संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन जैसा प्रतीत होता है।