नयी दिल्ली , दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के खिलाफ लड़ाई के मद्देनजर आने वाले संकट के दौरान प्रवासी श्रमिकों को कभी बेसहारा नहीं छोड़ेगी।
श्री केजरीवाल ने एक ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में रहने वाले प्रवासी मजदूरों की जिम्मेदारी हमारी है। अगर वे यहां रहना चाहते हैं, तो हम उनका पूरा ध्यान रखेंगे। यदि वे अपने घर वापस जाना चाहते हैं, तो हम उनके लिए ट्रेनों की व्यवस्था करेंगे। हम उन्हें ऐसे संकट के समय में बेसहारा नहीं छोडेंगे।
मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि सभी अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं कि किसी प्रवासी को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। उनके लिए जितनी जरूरत होगी, उतनी ट्रेन का इंतजाम किया जाएगा।
इसबीच उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 25 से अधिक ट्रेनों और बड़ी संख्या में बसों ने 35,000 प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों में पहुंचा दिया है और आज आठ श्रमिक विशेष ट्रेनें लगभग 12,000 प्रवासी मजदूरों को उनके घरों में ले जाएंगी।
श्री सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि पहले से ही 25 से अधिक ट्रेनों और बड़ी संख्या में बसों के जरिए 35,000 से अधिक लोगों को विभिन्न गंतव्य राज्यों में पहुंचाया गया है। आज 8 श्रमिक विशेष ट्रेनें लगभग 12,000 प्रवासी मजदूरों को उनके घरों में ले जाएंगी।
प्रवासी मजदूर जो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से यात्रा करना चाहते हैं, उन्हें ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा। पंजीकरण के लिए लिंक https://epass-jantasamvad-org/train/passenger/ दिया गया है। बिना पंजीकरण के किसी भी यात्री को ट्रेन में चढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उपमुख्यमंत्री ने कुछ ऐसे केंद्रों का दौरा किया, जहां दिल्ली सरकार ने प्रवासी मजदूरों के ठहरने, भोजन और चिकित्सा जांच की व्यवस्था की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इनमें से अधिकांश मजदूर 2-6 महीने पहले नौकरी के लिए दिल्ली आए थे। वे सभी काम कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन ने उनके जीवन को तबाह कर दिया। जब उनसे पूछा कि वे कब लौटेंगे तो उन्होंने मुझे बताया कि लॉकडाउन हटने के बाद वे वापस आ जाएंगे।
दिल्ली सरकार अपने गृह राज्यों में फंसे प्रवासियों की आवाजाही की सुविधा के लिए सभी आवश्यक इंतजाम कर रही है। यह इंतजाम भारतीय रेल के साथ-साथ बसों द्वारा संबंधित राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करके किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार प्रवासी श्रमिकों सहित अपने गृह राज्यों में फंसे हुए व्यक्तियों के शीघ्र और सुगम आवागमन के लिए अतिरिक्त ट्रेनों की आवश्यकता का आंकलन कर रही है।
उन्होंने दिल्ली में फंसे प्रवासियों से भी अनुरोध किया है कि वे सरकारी अधिकारियों से सूचना प्राप्त किए बिना किसी भी रेलवे स्टेशन पर जाने की कोशिश न करें। इसके अलावा, यह भी सलाह दी जाती है कि प्रवासी मजदूरों को सड़कों पर या रेलवे पटरियों पर नहीं चलना चाहिए और न ही अपने जीवन को खतरे में डालना चाहिए, क्योंकि ट्रेनों व बसों द्वारा उनके परिवहन की सभी व्यवस्था की जा रही है। दिल्ली सरकार अगले 15 दिन के भीतर सभी फंसे हुए लोगों के आवागमन को सुनिश्चित बनाने के लिए आशान्वित है।
देश के कोने-कोने से अपने मूल निवास स्थान की ओर पलायन कर रहे इन प्रवासी मजदूरों की तरफ से श्री चड्ढा ने केंद्र सरकार से चार प्रश्न पूछे हैं। वह गरीब मजदूर महिला जो पिछले तीन दिन से अपना सामान सर पर रखे हुए लगातार चलती जा रही है, उसके पैरों में पड़े छाले भारतीय जनता पार्टी से प्रश्न पूछ रहे हैं कि क्या हम मानव नहीं है?
वह मजदूर जो पिछले सात दिनों से अपने बेटे को कंधों पर बैठाकर 325 किलोमीटर दूरी का सफर पैदल तय कर चुका है, उसके थके हुए कंधे भारतीय जनता पार्टी से प्रश्न कर रहे हैं कि क्या हम इस देश के नागरिक नहीं हैं? वह 6 साल का बच्चा जो पैदल चल चल कर थक कर चूर हो गया और अपनी मां के द्वारा घसीटे जा रहे सूटकेस के ऊपर थक कर सो गया, वह भारतीय जनता पार्टी से प्रश्न कर रहा है कि मेरा अपराध क्या है? वह हजारों श्रमिक जो रोजगार की तलाश में शहर आए थे, आज हजारों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं और चले जा रहे हैं, चल-चल कर उन सभी का गला सूख गया है, वह तमाम श्रमिक आज भारतीय जनता पार्टी से प्रश्न कर रहे हैं कि क्या इस देश मे गरीब की जान की कोई कीमत नहीं?
उन्होंने कहा कि उक्त प्रश्न किसी राजनीतिक दल की ओर से पूछे गए प्रश्न नहीं, बल्कि वह लाखों मजदूर जो आज हजारों किलोमीटर का सफर पैदल तय करने के लिए मजबूर हैं और अपने मूल निवास स्थान की ओर बढ़े जा रहे हैं, यह तमाम प्रश्न उन गरीब मजदूरों के प्रश्न हैं। उन्होंने कहा कि क्या भारतीय जनता पार्टी केवल अमीरों की पार्टी है? क्या गरीबों के प्रति उनका कोई दायित्व नहीं है? क्या केवल धनवान लोगों को विदेशों से वापस लाने के लिए भारतीय जनता पार्टी बड़े-बड़े आलीशान जहाजों का इस्तेमाल करेगी? क्या गरीबों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए बसों का, रेलगाड़ियों का, जहाजों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा? क्या यह मजदूर हमारे देश के नागरिक नहीं है? क्या इस देश के निर्माण में इन मजदूरों का कोई योगदान नहीं है? बीते कुछ दिनों में देश के कोने-कोने में जो माननीय दृश्य जनता ने देखे हैं, वह दृश्य केवल और केवल भारतीय जनता पार्टी की गरीब विरोधी मानसिकता का नतीजा है।
श्री चड्ढा ने कहा कि जो प्रश्न देश की गरीब और मजदूर जनता की ओर से आज मैंने मीडिया के माध्यम से केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार से पूछे हैं, मुझे उम्मीद है कि अपनी गरीब विरोधी मानसिकता को परे रखकर, वह इन प्रश्नों का जवाब देगी और सड़कों पर हजारों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर, बेबस और लाचार मजदूरों की सहायता के लिए कुछ सशक्त कदम उठाएगी।