प्लास्टिक प्रदूषण के अध्ययन के लिए, विशेषज्ञों की टीम पहुंची वाराणसी
November 24, 2019
वाराणसी, नेशनल जियोग्राफिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान और ढाका विश्वविद्यालय की भागीदारी से बनी विशेषज्ञों की टीम गंगा नदी में प्लास्टिक प्रदूषण के अध्ययन के लिए वाराणसी शहर के राजघाट पहुंची।
नेशनल जियोग्राफिक की वैज्ञानिक हीथर कोल्डवे ने बताया, ‘‘समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है। नदियों द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 90 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक अवशेष समुद्र में पहुंचता है। यह प्लास्टिक अवशेष किस तरह नदियों तक और नदियों से समुद्र तक कैसे पहुंचता है, इसका आंकड़ा जुटाना ही इस खोज यात्रा का उदेश्य है। हम अपने इस शोध आंकड़ों का उपयोग जागरुकता बढ़ाने और समाधान ढूँढने में करेंगे।’’
भारतीय वन्य जीव संस्थान की वरिष्ठ वैज्ञानिक रुचि बडोला ने बताया, ‘‘हमारी पूरी टीम ‘सी टू सोर्स: गैंजेस” पर काम कर रही है। हमारा मुख्य काम नदियों में प्लास्टिक कैसे आता है और समुद्र तक कैसे जाता है, इस पर अनुसंधान करना है। गंगा में कितना माइक्रो प्लास्टिक है इसी पर अनुसंधान किया जा रहा है।’’
टीम की मुख्य सदस्य एवं पर्यावरण विशेषज्ञ जेन्ना जैमबैक ने बताया, ‘‘25 अक्टूबर को बांग्लादेश से नमूना लेना शुरू किया है। इसमें हम लोग तीन तरह से नमूने इकठ्ठा कर रहे हैं। पहला गंगा के किनारे के इलाकों से, दूसरा पानी में, तीसरा गंगा के अंदर की सतह में कितना प्लास्टिक है इसका पता लगाया जा रहा है। इसके तहत आज खोज यात्रा टीम के सदस्यों ने गंगा नदी से नमूने इकठ्ठा किये हैं। तीनों टीम में अमेरिका, बांग्लादेश और भारत के वैज्ञानिक शामिल हैं। पूरी परियोजना राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत है।’’