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पूर्व रेल मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीके जाफर शरीफ का निधन

बेंगलुरू,वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सी के जाफर शरीफ का दिल का दौरा पड़ने से रविवार की सुबह एक अस्पताल में निधन हो गया।85 साल के शरीफ लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे।

रविवार को उन्होंने बेंगलुरु के अस्पताल में अंतिम सांस ली।बताया जा रहा है कि बीते शुक्रवार को जब वो नमाज पढ़ने जाने के लिए अपनी कार में बैठ रहे थे तो उन्हें चोट लग गई थी। इसके बाद उन्हें यहां के फोर्टिस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था।शरीफ के परिवार के सूत्रों ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे। उनके परिवार में दो बेटियां हैं। अस्पताल सूत्रों ने बताया कि हृदय गति रुक जाने के कारण शरीफ की मृत्यु हुई।कांग्रेस विधायक और शरीफ के पारिवारिक मित्र एन ए हारिस ने बताया कि डॉक्टरों ने रविवार को उनके हृदय में पेसमेकर लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन ऑपरेशन की मेज पर लाए जाने से पहले ही उनका निधन हो गया।

तीन नवंबर 1933 को चित्रदुर्ग के चल्लाकेरे में जन्मे शरीफ का राजनीतिक करियर करीब 50 साल का रहा। बहरहाल, कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एस निजलिंगप्पा की छत्रछाया में अपने करियर की शुरुआत करने वाले शरीफ कांग्रेस में टूट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ चले गए। शरीफ बेंगलूर उत्तरी सीट से 7 बार लोकसभा सदस्य चुने गए। पी वी नरसिंह राव सरकार में 21 जून, 1991 से 16 अक्टूबर, 1995 तक उन्होंने रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी।

 कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि शरीफ उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के काफी करीब थे। कुमारस्वामी ने कहा, जाफर शरीफ अल्पसंख्यक समुदाय तक सीमित नहीं थे, बल्कि राज्य के हर नागरिक के नेता के तौर पर उभरे थे। वह महान नेता थे, जिन्होंने राज्य को केंद्र सरकार की कई योजनाएं, खासकर रेल परियोजनाएं दी।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शरीफ के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट किया,यह कांग्रेस पार्टी के लिए दुख का दिन है। एक अन्य वरिष्ठ, प्रिय और कर्नाटक में हमारे परिवार के सम्मानित सदस्य श्री जाफर शरीफ जी का आज निधन हो गया। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, मित्रों एवं समर्थकों को मेरी संवेदनाएं।

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी शरीफ के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि संघ के कई पदाधिकारियों से उनका अच्छा परिचय था और वह सामाजिक मुद्दों के समर्थन में रहते थे।