मरीज के चेहरे से लटका 4.5 किलो का ट्यूमर हटाकर फोर्टिस ने लौटाई मुस्कान

नई दिल्ली, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स ओखला, नई दिल्ली के डॉक्टरों ने किर्गिस्तान के 48 वर्षीय मरीज के चेहरे से 4.5 किलोग्राम का बेहद बड़ा और खतरनाक कैंसरग्रस्त ट्यूमर सफलतापूर्वक निकालकर उसकी जान बचाई। फुटबॉल के आकार का यह ट्यूमर 19 x 18 से.मी. का था और तेजी से बढ़ रहा था। मरीज को इसे अपने हाथ से पकड़कर रखना पड़ता था, ताकि उसका चेहरा लटक न जाए।
ट्यूमर से बदबू आने की वजह से मरीज को हवाई सफर के दौरान भी अलग सीट पर बैठना पड़ा।
कई अस्पतालों ने इलाज से इंकार किया
दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पताल इस मामले को संभालने में असमर्थ रहे, क्योंकि ट्यूमर बहुत बड़ा और जटिल था। तब मरीज को फोर्टिस एस्कॉर्ट्स ओखला लाया गया। जांच में पता चला कि ट्यूमर चेहरे, गाल, जबड़े और गर्दन तक फैल चुका था। डॉक्टरों ने बताया कि अगर ट्यूमर फट जाता तो भारी खून बहने की वजह से कुछ ही दिनों में मरीज की मौत हो सकती थी।
10 घंटे चली चुनौतीपूर्ण सर्जरी
यह कठिन सर्जरी डॉ. अर्चित पंडित (डायरेक्टर एवं एचओडी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी) के नेतृत्व में की गई। टीम में शामिल थे:
डॉ. विनीत गोयल – कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी
डॉ. कुशल बैरोलिया – कंसल्टेंट, GI सर्जिकल ऑन्कोलॉजी
सर्जरी में ट्यूमर के साथ आसपास की खराब त्वचा, मांसपेशियां, लार ग्रंथियां और लिम्फ नोड्स भी हटाने पड़े। घाव को भरने के लिए डॉक्टरों ने मरीज की पीठ से त्वचा और मांसपेशियां लेकर चेहरे पर प्रत्यारोपित कीं। ट्यूमर कई बड़ी रक्तवाहिकाओं के पास था, जिससे खून बहने का खतरा हर समय बना रहा। इसके बावजूद सर्जरी सफल रही और मरीज को सिर्फ 6 दिनों में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ. अर्चित पंडित ने कहा, “यह सर्जरी हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि ट्यूमर बहुत बड़ा था और कई महत्वपूर्ण नसों और रक्तवाहिकाओं के करीब था। अगर हम समय पर ऑपरेशन न करते, तो मरीज की जान खतरे में पड़ सकती थी। पूरी टीम ने मिलकर अत्यंत सावधानी से काम किया और हम मरीज को नया जीवन देने में सफल रहे। हमें खुशी है कि वह अब स्वस्थ हो रहा है।”
डॉ. विनीत गोयल ने कहा, “ऐसे ट्यूमर दुनिया में बहुत कम देखे जाते हैं। ट्यूमर का आकार, उसमें फैला संक्रमण और उसकी लोकेशन—सब कुछ इस मामले को बेहद कठिन बना रहा था। टीमवर्क के कारण ही यह संभव हो पाया।”
डॉ. कुशल बैरोलिया ने कहा, “मरीज की हालत काफी गंभीर थी, लेकिन उसका विश्वास और हिम्मत काबिले-तारीफ था। सर्जरी के बाद उसकी तेज़ रिकवरी हमारे लिए बहुत प्रेरणादायक है।”
डॉ. विक्रम अग्रवाल, वाइस प्रेसीडेंट एवं फैसिलिटी हेड, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स ओखला ने कहा, “यह केस हमारे अस्पताल की विशेषज्ञता और उन्नत चिकित्सा सुविधाओं का प्रमाण है। फोर्टिस हमेशा कोशिश करता है कि मरीजों को बेहतर से बेहतर जीवनरक्षक उपचार मिले।”





