नई दिल्ली- वेटलैंड्स फ़ॉर लाइफ और 12वां सीएमएस वातावरण अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव एवं मंच के दूसरे दिन का आयोजन गहन चर्चाओं एवं पर्यावरण जागरूकता एवं जैव विविधता संरक्षण पर आधारित प्रेरणादायक फिल्मों के प्रदर्शन के साथ सम्पन्न हुआ। विविध कार्यक्रमों में “वेटलैंड्स मित्र” की भूमिका पर विशेष सत्र और पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माताओं के साथ एक रोचक पैनल चर्चा सम्मिलित रही, जिसने वेटलैंड्स संरक्षण के महत्त्वपूर्ण संदेशों को बल दिया।
यह ‘वेटलैंड्स फ़ॉर लाइफ’ फिल्म महोत्सव, भारत-जर्मन तकनीकी सहयोग परियोजना ‘जैव विविधता और जलवायु संरक्षण के लिए वेटलैंड्स प्रबंधन’ का एक भाग है। यह परियोजना जर्मनी के पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण, परमाणु सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय (बीएमयूवी) की ओर से GIZ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल (IKI) के साथ मिलकर और भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के साझे प्रयास से संचालित की जा रही है। दिल्ली अध्याय में राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (एनएमएनएच), डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया और IUCN CEC भी सहभागी हैं।
“वेटलैंड्स मित्रों” की भूमिका-
WWF इंडिया द्वारा आयोजित एक महत्त्वपूर्ण सत्र में “वेटलैंड्स मित्रों” की भूमिका को रेखांकित किया गया, जो स्थानीय स्तर पर वेटलैंड्स संरक्षण के लिए कार्यरत हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली से आये वेटलैंड्स मित्रों ने अपने संघर्षों और सफलता की प्रेरणादायक कहानियों को साझा किया, जिससे नागरिक नेतृत्व वाले संरक्षण प्रयासों के महत्त्व को उजागर किया गया।
दिलचस्प पैनल चर्चा का आयोजन-
इसके पश्चात् “संरक्षण की कहानियाँ: रचनाकारों के साथ संवाद” नामक एक बहुत ही दिलचस्प पैनल चर्चा का आयोजन हुआ, जिसमें प्रमुख पर्यावरण फिल्म निर्माताओं ने भाग लिया।
संरक्षण की शुरुआत जागरूकता-
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता कृष्णेंदु बोस, जो पर्यावरणीय मुद्दों पर अपनी प्रभावशाली रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, ने कहा, “फिल्मों के माध्यम से कहानियां सुनाना दृष्टिकोण को बदलने और कार्यवाही के लिए प्रेरित करने की शक्ति रखता है। संरक्षण की शुरुआत जागरूकता से होती है, और फिल्में इसके लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं।”
फिल्म के माध्यम से कैद-
एक अन्य राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता, आकांक्षा सूद, जो जैव विविधता पर केंद्रित हैं, ने कहा, “हमारे प्राकृतिक संसार की सुंदरता, नाजुकता और चुनौतियों को फिल्म के माध्यम से कैद करना अत्यंत आवश्यक है। फिल्म निर्माताओं के रूप में, हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इन कहानियों को व्यापक दर्शकों तक पहुँचाएं।”
संस्कृतियों का समर्थन-
फिल्म निर्माता और महाकाल प्रोडक्शंस के क्रिएटिव डायरेक्टर सार्थक चावला ने “प्वाइंट कलीमियर रामसर साइट” पर अपने कार्य पर बात करते हुए कहा, “प्वाइंट कलीमियर की जैव विविधता को दस्तावेज़ित करने से एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र सामने आया जो विविध आवासों, आजीविकाओं और संस्कृतियों का समर्थन करता है।”
अपने अनुभवों के बारे में चर्चा-
ओशांक सोनी, फिल्म निर्माता और कारवां फिल्म्स के सह-संस्थापक, ने हिमाचल प्रदेश के सिरमौर की स्थानीय समुदायों के साथ अपने अनुभवों के बारे में चर्चा की, “ग्रीन रेणुका मेले पर हमारी फिल्म बनाने से पहले, मुझे रेणुका रामसर स्थल के महत्त्व के बारे में बहुत कम जानकारी थी। स्थानीय निवासियों के साथ जुड़ने और उनके अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों को समझने के बाद ही वास्तविक कहानी सामने आई।”
आवाज़ों को ताकतवर बनाने पर ध्यान-
डस्टी फुट प्रोडक्शंस की साझेदार निर्देशक सुश्री इमराना खान ने आर्द्रभूमियों पर मानव प्रभाव पर जोर देते हुए अधिक जमीनी स्तर पर भागीदारी की आवश्यकता बताई। “मेरी फिल्में उन लोगों की आवाज़ को सामने लाती हैं जिन्हें अक्सर अनसुना कर दिया जाता है—वे लोग जिनका जीवन वेटलैंड्स से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। वे इन पारिस्थितिक तंत्रों के असली संरक्षक हैं। उभरते हुए फिल्म निर्माताओं को इन आवाज़ों को और अधिक ताकतवर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए,” उन्होंने आग्रह किया।
सत्र का समापन-
पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने हेतु भविष्य में फिल्म निर्माण की भूमिका” की चर्चा के साथ हुआ।
उल्लेखनीय है वेटलैंड्स फ़ॉर लाइफ और 12वां सीएमएस वतावरण अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव एवं मंच पर्यावरणीय मुद्दों पर संवाद और कार्रवाई हेतु बने इस मंच में जैसे-जैसे महोत्सव अपने अंतिम दिन की ओर बढ़ रहा है, पुरस्कार समारोह के लिए उत्सुकता भी बढ़ रही है, जहाँ 12वें संस्करण के विजेताओं को 5 अक्टूबर को समापन समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
रिपोर्टर-आभा यादव