इटावा , देश की सबसे प्रदूषित नदियों मे शुमार यमुना नदी में सैकड़ों नन्हे घड़ियालों की मौजूदगी इस बात का संकेत दे रही है कि डायनासोर प्रजाति के जलीय जीव प्रजनन के लिये चंबल नदी को छोड़कर यमुना को अपना नया आशियाना बना रहे है।
उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के भाउपुरा गांव के पास प्रवाहित यमुना नदी में घड़ियाल ने प्रजनन करके करीब तीन दर्जन से अधिक बच्चो को जन्म दिया है। घड़ियाल के इन बच्चो को देखने के लिए सुबह शाम बडी तादाद मे गांव वाले नदी के किनारे पहुंचते है ।
पर्यावरणविदों का मानना है कि घड़ियालों की मौजूदगी उस अवधारणा को खारिज करती प्रतीत हो रही है कि प्रदूषित जल मे घड़ियाल का प्रजनन नही होता है। इससे यह उम्मीद भी बंध चली है कि आने वाले दिनो मे चंबल के अलावा यमुना नदी भी घडियालो के प्रजनन के लिये एक मुफीद प्राकृतिक वास बन सकेगा ।
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के संरक्षण अधिकारी डा.राजीव चौहान का कहना है कि यमुना नदी मे घड़ियाल का प्रजनन यह इंगित करता है कि इस क्षेत्र मे यमुना नदी के पानी मे शुद्धता बढ रही है और यह क्षेत्र घड़ियालो का प्राकृतिक आवास बन सकता है। यमुना के जल को शुद्व बनाने के प्रयास कारगर साबित होते हुए दिख रहे है और आने वाले दिनो मे यमुना नदी जैव विविधता के संरक्षण का एक नया माॅडल साबित हो सकता है।
उन्होने कहा कि असल मे यमुना नदी का पानी आगरा के बटेश्वर के बाद काफी हद तक साफ होना शुरू हो जाता है और भाउपुरा स्थित गांव के पास यमुना नदी मे घडियाल ने प्रजनन किया है वो बटेश्वर से अधिक दूरी पर नहीं है, इसलिए यह स्पष्ट है कि यमुना के जल मे कहीं ना कहीं बदलाव आ रहा है,तभी तो घड़ियाल प्रजनन के लिए यमुना की ओर से आकर्षित हो रहे है। डा चौहान ने कहा कि फिर भी एक बड़े स्तर के शोध की जरूरत है क्योंकि यह पहला मौका नही है जब किसी घड़ियाल ने यमुना नदी में प्रजनन किया हो, इससे पहले भी साल 2011,2019 और अब भाउपुरा में प्रजनन करके पर्यावरण विशेषज्ञों को हैरत मे डाला है ।
सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के सचिव संजीव चौहान बताते हैं कि 15 जून को यमुना नदी मे मादा घड़ियाल ने यमुना नदी के किनारे अंडे फोडे जिनसे निकलते हुए छोटे छोटे बच्चे देखे गये। उनकी संस्था वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में काम करने में इटावा एवं आसपास के जिलों में सक्रिय है। इस लिहाज से उन्होंने दर्जनों के हिसाब से संस्था के वालंटियरो को एक्टिव कर रखा है जो इलाके में होने वाली गतिविधियों की जानकारी समय समय पर साझा करते रहते है ।
यमुना नदी में घड़ियालो के प्रजनन की खबर मिलने के बाद उनके संरक्षण के लिए गॉव वालो की मदद ली जा रही है । इलाकाई वन दरोगा ताबिश अहमद ने बताया कि घड़ियाल के प्रजनन के बाद पर्यावरण विशेषज्ञ भाउपुरा गांव को अपना अध्ययन केंद्र बना रहे है । ताबिश बताते है कि जब यमुना नदी मे घडियाल के प्रजनन की जानकारी सामने आई तो बिना मौके पर आये यकीन कर पाना संभव नही था इसलिए मौके पर आया तो देखा कि जो सूचना घडियालो को लेकर दी गई थी वो पूरी तरह सच पाई गयी। साथ ही एक नई उम्मीद यह भी जताती है कि यमुना जैसी प्रदूषित नदी मे घडियाल का प्रजनन एक नये आशियाने की ओर इशारा कर रहा है ।
पिछले साल जून माह मे इटावा मे सुमेर सिंह के किले के नीचे यमुना नदी मे घड़ियाल ने प्रजनन किया था। इससे पहले साल 2011 मे भी यमुना नदी मे इटावा के ही हरौली गाॅव के पास भी एक घडियाल ने इसी तरह से प्रजनन किया था । तब यहाॅ करीब पचास के आसपास बच्चे देखे गये थे । इन बच्चो को यमुना नदी के देखे जाने के बाद खासी चर्चा हुई थी ।
इटावा के प्रभागीय वन निदेशक राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि यमुना नदी मे घड़ियाल का प्रजनन निश्चित तौर पर अपने आप मे सुखद अहसास कराने वाली सूचना है। घडियाल के मासूम बच्चो की सुरक्षा के लिए क्षेत्रीय वन रक्षको की टीम के साथ साथ स्थानीय गांव वालो को भी सजग कर दिया गया है । ऐसा माना जा रहा है कि यमुना नदी का जल घडियालो के प्रजनन के मुफीद बन गया है तभी घडियाल ने यहाॅ पर प्रजनन किया है । गौरतलब है कि 2007 मे जब इटावा मे घड़ियालो की मौत का सिलसिला शुरू हुआ तो यह बात घडियाल विशेषज्ञो की ओर से प्रभावी तौर पर कही जाने लगी कि यमुना नदी मे हुये प्रदूषण की वजह से दुर्लभ प्रजाति के घडियालो की मौत हुई है लेकिन इस बात को कोई भी घडियाल विशेषज्ञ साबित नही कर पाया कि घडियालो की मौत यमुना नदी के प्रदूषण का नतीजा है।
दिसंबर 2007 से जिस तेजी के साथ किसी अज्ञात बीमारी के कारण एक के बाद एक सैकड़ों से अधिक घडियालों की मौत हुई थी । उसने समूचे विश्व समुदाय को चिंतित कर दिया था । ऐसा प्रतीत होने लगा था कि कहीं इस प्रजाति के घडियाल किताब का हिस्सा बनकर न रह जाएं। घडियालों के बचाव के लिए तमाम अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं आगे आई और फ्रांस, अमेरिका सहित तमाम देशों के वन्य जीव विशेषज्ञों ने घडियालों की मौत की वजह तलाशने के लिए तमाम शोध कर डाले।
घडियालों की हैरतअंगेज तरीके से हुई मौतों में जहां वैज्ञानिकों के एक समुदाय ने इसे लीवर सिरोसिस बीमारी को एक वजह माना तो वहीं दूसरी ओर अन्य वैज्ञानिकों के समूह ने चंबल के पानी में प्रदूषण को घडियालों की मौत का कारण माना। वहीं दबी जुबां से घडियालों की मौत के लिए अवैध शिकार एवं घडियालों की भूख को भी जिम्मेदार माना गया। घडियालों की मौत की वजह तलाशने के लिए ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने करोड़ों रुपये व्यय कर घडियालों की गतिविधियों को जानने के लिए उनके शरीर में ट्रांसमीटर प्रत्यारोपित किए।
यमुना नदी मे घडियाल ने प्रजनन करके एक नया इतिहास लिखा है उसी यमुना नदी को अपने प्राकृृतिक स्वरूप को बनाये रखने के लिये देश की राजधानी दिल्ली में सर्वाधिक संघर्ष करना पड़ रहा है । यमुना नदी के किनारे दिल्ली, मथुरा व आगरा सहित कई बड़े शहर बसे हैं। ब्लैक वाॅटर में तब्दील यमुना में करीब 33 करोड़ लीटर सीवेज गिरता है ।
इस सबके बावजूद यमुना नदी मे हुये प्रजनन ने यमुना नदी के प्रदूषण को लेकर एक सवाल खड़ा कर दिया है कि अगर हकीकत मे यमुना नदी मैली है तो फिर घडियाल कैसे प्रजनन कर रहे है।