मुंबई, अमेरिकी फेड रिजर्व और आरबीआई के नीतिगत दरों में बढ़ोतरी से सहमे निवेशकों की जबरदस्त बिकवाली के दबाव में बीते सप्ताह करीब चार प्रतिशत की गिरावट झेल चुके घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह वैश्विक रुख के साथ ही स्थानीय स्तर पर महंगाई एवं औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के जारी होने वाले आंकड़ो का असर रहेगा।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 2225.29 अंक लुढ़ककर सप्ताहांत पर दो माह के निचले स्तर एवं 55 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 54835.58 अंक पर और नेशनल स्टाॅक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 691.3 अंक का गोता लगाकर 17 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 16411.25 अंक पर आ गया।
इसी तरह समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह छोटी और मझौली कंपनियों में भी जमकर बिकवाली हुई। इससे सप्ताहांत पर मिडकैप 1225.43 अंक टूटकर 23192.61 अंक और स्मॉलकैप 1519.51 अंक उतरकर 27092.41 अंक पर रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, बीते सप्ताह घरेलू शेयर बाजार के लिए लगातार चौथी साप्ताहिक गिरावट रही। रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत रेपो दर में आश्चर्यजनक रूप से 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी और अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में 50 आधार अंक की वृद्धि के बाद वैश्विक बाजारों में तेज गिरावट के कारण पिछला सप्ताह वर्ष 2022 के सबसे खराब सप्ताह में से एक रहा।
दुनिया भर के केंद्रीय बैंक जहां महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं वहीं विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पिछले कई महीनों से तेज बिकवाली कर रहे हैं। बाजार सहभागियों के बीच मुद्रास्फीतिजनित मंदी का डर है, जो निवेशकाें की निवेश धारणा को कमजोर कर रहा है।
उनका कहना है कि डॉलर इंडेक्स और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ के बीच अगले सप्ताह 11 मई को अमेरिका में महंगाई के आंकड़े तथा 12 मई को भारत में अप्रैल के महंगाई एवं आईआईपी के आंकड़े जारी होने वाले हैं, जो बाजार में अस्थिरता का कारण बन सकती है। अगले सप्ताह एसबीआई, टाटा मोटर्स, एलएंडटी, यूपीएल, टेक महिंद्रा और सिप्ला जैसी दिग्गज कंपनियों के वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही के परिणाम जारी होने वाले हैं, जिसका असर बाजार में देखा जा सकेगा।