नयी दिल्ली , बारह अक्टूबर यानी सोमवार को विश्व अर्थराइटिस दिवस है और इस मौके पर गठिया के मरीजों के लिए खुशखबरी की बात यह है कि उनमें आम लोगों के मुकाबले कोरोना का घातक असर कम देखने को मिल रहा है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में रेमेटलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. उमा कुमार ने आज यहां विश्व अर्थराइटिस दिवस की पूर्व संध्या पर यूनीवार्ता से बातचीत में यह जानकारी दी है। उनका कहना है कि गठिया के मरीजों में कोरोना का घातक असर नहीं देखा जा रहा है जिसकी वजह गठिया में दी जाने वाली दवाएँ हो सकती है। इसलिए कोरोना काल में गठिया के मरीज किसी तरह की कोताही न बरतें और दवा बिल्कुल न बन्द करें।
उन्होंने कहा कि गठिया के जो मरीज नियमित रूप से दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, उन्हें अगर कोरोना हो भी रहा है तो उन पर उसका घातक असर न केवल कम देखने को मिल रहा है, बल्कि ऐसे मरीजों का मृत्यु दर भी कम है।
उन्होंने कहा कि कोरोना से बुरी तरह संक्रमित मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक प्रभावित हो जाती है, जिसकी वजह से उनकी स्थिति जानलेवा हो जाती है । देखा जा रहा है कि गठिया में इस्तेमाल होने वाली दवाइयाँ जैसे कि स्टेरॉड्ज़ इत्यादि करोना मरीज़ को जानलेवा ख़तरे से बाहर लाने में मददगार साबित हो रही है। गठिया के जो मरीज नियमित रूप से दवाइयां ले रहे हैं उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी खराब नहीं होने पाती हैं। इसलिए कोरोना का अधिक बुरा असर उन पर नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि गठिया के मरीज़ों को नियमित तौर पर हर दिन कम से कम 30 मिनट कसरत जरूर करना चाहिए । इस तरह सप्ताह में कम से कम 150 मिनट का व्यायाम जरूरी है ।