जैसलमेर, अब देश में अतिशीघ्र लोगों को जैविक बकरियां मिलने के साथ ही मांस के शौकीनों को जैविक बकरों का मांस सुलभ हो सकेगा जो स्वास्थ्यवर्धक एवं रोग प्रतिरोधक होगा।
संभवतः देश में पहली बार राजस्थान सरकार के पशु अनुसंधान केन्द्र द्वारा जैविक बकरी पालन नामक योजना के तहत बकरियों की ब्रिड तैयार की गई है। सरहदी जैसलमेर जिले में थारपारकर जैसी उत्तम नस्ल की गाय पर अनुसंधान करने के लिए ख्याति अर्जित कर चुका जैसलमेर का चांधण स्थित पशु अनुसंधान केन्द्र अब जैविक बकरियों को बेचने की कवायद करेगा।
तीन वर्ष पहले मारवाड़ी क्षेत्र की बकरियों को जैविक वातावरण में पालन-पोषण करने के बाद इनकी प्रकृति अन्य बकरियों से जुदा दिखाई दे रही है। तक संख्या में इनकी संख्या भी अधिक हो चुकी है। ऐसे में इन विशेष मानी जाने वाली बकरियों को बेचने की कवायद की जाएगी। वर्तमान मे यहां 290 मारवाड़ी नस्ल के बकरे, बकरियों को संरक्षण एवं उनके विकास का कार्य किया जा रहा है।
इस संबंध में चांधण स्थित पशु अनुसंधा केन्द्र के प्रभारी डॉक्टर रावलपाल सिंह ने बताया कि अनुसंधान केन्द्र बकरी पालन भी कर रहा है। अनुसंधान केन्द्र पर मारवाड़ी नस्ल की बकरियों का पालन पोषण किया जा रहा है। आर्गेनिक वातावरण में पल रही इन बकरियों से केन्द्र की आय बढ़ाने के लिए यह कवायद की गई है। वर्ष 2017 में शुरू की गयी परियोजना अब सफलता की ओर अग्रसर होने लगीं हैं तथा इसके बेहतर परिणाम सामने आए है। अब केन्द्र में बकरियों की संख्या तय मानकों से भी अधिक हो गई है।
केन्द्र के प्रभारी राहुलपालसिंह बताते हैं कि राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्व विद्यालय बीकानेर के मार्गदर्शन में शुरूआत में 55 बकरियों को चिन्हित करके जैविक बकरी पालन नामक योजना शुरू की थी जिनकी संख्या बढ़कर अब 220 हो चुकी है। 70 नर बकरे भी पोषित किये जा रहे हैं। वह बताते हैं कि परियोजना के तहत जैविक चारे पर विकसित बकरियों की संख्या बढ़ाना है। जैविक रूप से बढ़ रही बकरियों का दूध मांगने पर दवाई वगैरह के लिए बेचा जाएगा। इसके अलावा लोगों को जैविक बकरे का मीट भी इस परियोजना के तहत मिल सकेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार जैविक मांस न केवल स्वास्थ्यवर्धक होगा, बल्कि रोग प्रतिरोधक भी हो सकेगा। अनुसंधान केन्द्र ने जैविक प्रमाण पत्र के लिए आवेदन भी कर लिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक चांधण के थारपारकर फार्म में पल रही इन बकरियों का शरीर आम बकरियों की तुलना में काफी जुदा है, इसके साथ ही इनका स्वास्थ्य भी आम बकरियों से एकदम अलग ही नजर आता है। इन दिनों ये जैविक बकरियां पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीके से और स्वस्थ वातावरण में पल रही है। अनुसंधान केन्द्र में ये बकरियां इन दिनों आकर्षण का केन्द्र भी बनी हुई है। इन बकरियों से न सिर्फ जैविक दूध दवा के तौर पर उपयोग लिया जा सकेगा वरन इस बकरी का मांस भी जैविक होगा जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक होगा बल्कि कई बीमारियों को बचा सकेगा।
इसके लिये राजस्थान सरकार के जैविक प्रमाणीकरण विभाग से कार्यवाही की जा रही है और आने वाले दिनों में यह योजना और ज्यादा बड़ी हो सकेगी। देश के कुछ केंद्रों ऐसे जैविक बकरियां भिजवाई हैं इसकी मांग लगातार बनी हुई है फिलहाल यह योजना शुरूआती चरण में है।