सरकार ने सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों की परिभाषा बदली

नयी दिल्ली, सरकार ने सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) की परिभाषा बदलते हुये अब 20 करोड़ रुपये तक का निवेश और 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों को इसके दायरे में रखने का फैसला किया है। इससे कंपनियों को एमएसएमई के लिए दी जाने वाली छूटों का लाभ लेते हुये अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसकी घोषणा की। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि अब एमएसएमई की परिभाषा में निवेश के साथ ही कारोबार का अतिरिक्त मानदंड शामिल किया गया है। अब विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए एक ही मानदंड होगा। पहले दोनों के लिए अलग-अलग मानदंड थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मंगलवार को घोषित ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ की एलान करते हुये उन्होंने बताया कि अब एक करोड़ रुपये से कम निवेश और पांच करोड़ रुपये से कम का कारोबार करने वाले उद्योग सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में आयेंगे। पहले यह सीमा विनिर्माण क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र के लिए 10 लाख रुपये थी।

वित्त मंत्री ने बताया कि अब 10 करोड़ रुपये से कम निवेश और 50 करोड़ रुपये से कम का कारोबार करने वाली कंपनियाँ लघु उद्यम की श्रेणी में आयेंगी। अभी विनिर्माण क्षेत्र के लिए यह सीमा पाँच करोड़ रुपये और सेवा क्षेत्र के लिए दो करोड़ रुपये निवेश की थी।
इसी प्रकार 20 करोड़ रुपये से कम निवेश और 100 करोड़ रुपये से कम कारोबार करने वाली कंपनियाँ मध्यम उद्योगों की श्रेणी में आयेंगी। पहले विनिर्माण क्षेत्र में 10 करोड़ रुपये और सेवा क्षेत्र में पाँच करोड़ रुपये तक निवेश वाली कंपनियों को इस श्रेणी में रखा गया था।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इससे एमएसएमई छूट गँवाने से डरे बिना अपना कारोबार बढ़ा सकेंगी। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि इससे कितने उद्योग लाभांवित होंगे इसके बारे में फिलहाल उनके पास आँकड़े नहीं है।

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