उच्च शिक्षा का निजीकरण कर सरकार खत्म कर रही है आरक्षण
May 1, 2018
नयी दिल्ली, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, भारतीय जनता पार्टी के सांसद उदित राज के अलावा देश के जाने-माने शिक्षाविदों ने उच्च शिक्षा के निजीकरण का जोरदार विरोध किया है और कहा है कि सरकार के इस कदम से दलित आदिवासी और पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्र उच्च शिक्षा से अपने आप वंचित हो जायेंगे।
सीताराम येचुरी और उदित राज के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ;माले की कविता कृष्णन, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुखदेव थोराट, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की अध्यक्ष सोंझारिया मिंज, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष राजीव रे, पूर्व अध्यक्ष श्रीराम ओबेराय और पूर्व अध्यक्ष नंदिता नारायण ने आज उच्च शिक्षा में प्रतिनिधित्व के सवाल पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मलेन में यह विचार व्यक्त किये।
माकपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार देश में उच्च शिक्षा को बर्बाद करने में लगी है और वह जे एन यू हैदराबाद विश्वविद्यालय समेत अनेक परिसरों में उच्च शिक्षा को ध्वस्त कर रही है तथा दलितों-पिछड़ों को शिक्षा से वंचित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा का निजीकरण इसलिए किया जा रहा है कि आरक्षण व्यवस्था को लागू न किया जाये, इतना ही नहीं सरकारी विश्वविद्यालयों में स्ववित्त पोषित कोर्स शुरू किये जा रहे हैं ताकि समाज के वंचित समुदाय के छात्र शिक्षा से वंचित हो जाएँ>
उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम संविधान विरोधी है क्योंकि संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गयी है लेकिन यह सरकार आरक्षण देना नहीं चाहती, इसलिए वह निजीकरण का सहारा ले रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतिहास में अब केवल हिन्दू मिथकों को पढ़ाया जा रहा है और हिदुत्व के दर्शन को पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ठेके के रोजगार का कानून ला रही है ताकि आरक्षण खुद ही ख़त्म हो जाये।
उदित राज ने कहा कि न्यायपालिका दलितों और आदिवासियों से जुड़े कानून को खुद कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने हमेशा कामगारों के विरोध में फैसले सुनाये हैं। उन्होंने सवाल किया कि अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति किस प्रतिभा के आधार पर होती है क्या वे लिखित परीक्षा पास कर उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनते हैं, फिर ये न्यायाधीश दूसरों की योग्यता तय करने वाले कौन होते हैं।
श्रीमती कृष्णन ने कहा कि लाल किले की तरह देश में उच्च शिक्षा को भी सेल पर रख दिया गया है और समाज के कमजोर वर्गों के छात्रों को उच्च शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। भाजपा सांसद ने अदालतों का घेराव करने और उनके खिलाफ प्रदर्शन करने की लोगों से अपील की, उन्होंने कहा कि शिक्षा जगत को इस के लिए आगे आना होगा।
सुखदेव थोराट ने कहा कि आरक्षण से अधिक खतरनाक उच्च शिक्षा का निजीकरण है क्योंकि निजीकरण होने से आरक्षण अपने आप समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि देश के सभी राज्यों में निजी विश्वविद्यालय खोलने के कानून बन गए हैं, उन्होंने यह भी कहा कि दलित अल्पसंख्यक अध्ययन केन्द्रों की फंडिंग न करने के कारण ये केंद्र अपने आप बंद होने की कगार पर पहुँच गए हैं जे एन यू में एमफिल पी एच डी की सीटों की कटौती से वंचित समाज के एक प्रतिशत छात्र की गत वर्ष दाखिला ले सकें।
जे एन यू शिक्षक संघ की अध्यक्ष मिंज ने कहा कि रोस्टर प्रणाली में बदलाव से उनके विश्वविद्यालय में वंचित समाज के शिक्षकों की सौ सीटें कम हो जायेंगी, रे का कहना था कि दिल्ली विश्वविद्यालय में दो हज़ार सीटें कम हो जायेंगी। सम्मेलन के अंत में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें पांच मार्च 2018 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी अधिसूचना को वापस लेने की मांग की गयी और 200 अंक आधारित आरक्षण रोस्टर के आधार पर ही शिक्षकोंं की स्थायी नियुक्ति करने की मांग की गयी।