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स्व-रोजगार की प्रक्रिया सरकार ने सरल की, हटाई ये बड़ी अड़चन ?

नयी दिल्ली, सरकार ने स्व-रोजगार एवं छोटे उद्योग धंधों को बढ़ावा देने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था को सरल बनाते हुए ऋण मंजूरी के लिए जिलाधीश की अध्यक्षता में कार्यबल समिति की भूमिका समाप्त कर दिया है।

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी कार्यक्रम -पीएमईजीपी के तहत प्रस्तावों को मंजूरी देने में कार्यबल समिति की भूमिका को बंद करने के साथ एक बड़ी अड़चन को हटा दिया गया है।

उन्होेंने बताया कि सरकार के इस फैसले से देश में रोजगार सृजन की गति तेज होगी। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में बैठक में कार्यबल समिति की भूमिका को खत्म करने का फैसला किया है। इससे समूची प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके।

उन्होेंने बताया कि संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, पीएमईजीपी योजना को लागू करने वाली नोडल एजेंसी, खादी और ग्रामोद्योग आयोग उचित विचार-विमर्श के बाद भावी उद्यमियों के प्रस्तावों और आवेदनों को सीधे मंजूरी दे देगा और आगे ऐसी योजनाओं के लिए ऋण उपलब्धता के बारे में फैसला लेने के लिए इन्हें बैंकों को भेज देगा। अब तक ऐसे प्रस्तावों को जिला स्तर पर कार्यबल समिति की छानबीन के बाद मंजूरी दी जाती थी जिससे अक्सर देरी होती थी।

उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब कोरोना बीमारी के मद्देनजर देश भर में लॉकडाउन के कारण रोजगार क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। नीतियों में यह बदलाव परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा और पीएमईजीएस योजना के तहत ग्रामीण और अर्द्धशहरी क्षेत्रों में रोजगार के नये अवसर पैदा करेगा।