सुलतानपुर, कोरोना महामारी के चलते छह महीने 28 दिन बाद सोमवार को विद्यार्थियों की दस्तक से स्कूल गुलजार हो उठे लेकिन तमाम प्रतिबंधों के चलते छात्र-छात्राओं में पहले जैसा खुलकर स्कूली उत्साह और रौनक देखने को नही मिला।
कोरोना महामारी की चलते देश में 25 मार्च से लॉकडाउन के बाद स्कूल कॉलेज पूरी तरह से बंद कर दिए गए थे। आज छह माह 28 दिन विद्यार्थियों ने विद्यालयों में पढ़ाई शुरू की। नये सत्र में प्रवेश परीक्षा से लेकर प्रथम, द्वितीय मासिक व अर्द्ध वार्षिक परीक्षा तक उन्हें मोबाइलों पर ऑनलाइन परीक्षा देकर काम चलाना पड़ा। सरकार के निर्देश के बाद 19 अक्टूबर को कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों को स्कूल आने की अनुमति मिली है, जिसमें आज 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को ही विद्यालय ने बुलाया था।
सरकार की गाइड लाइन के अनुसार विद्यालयों में विद्यार्थियों के आने पर स्क्रीनिंग और सेनिटाइजर के बाद ही विद्यालय में प्रवेश की अनुमति दी। विद्यालयों में विद्यार्थियों को आने में उत्साह तो दिख रहा था लेकिन उनमें भय भी झलक रहा था। प्रतिबंध था कि विद्यार्थी एक दूसरे से दूरी बना कर रहेगे। बिना किसी कारण बातचीत नही करेंगे। विद्यालय परिसर में बिना मास्क के नहीं रहेंगे। किसी भी परिस्थिति में एक दूसरे से सामान का आदान-प्रदान भी नहीं करेंगे। इन प्रतिबंधों के साथ विद्यालय तो गुलजार दिख रहे थे। आपस में दूरियों के चलते उनमें वह पहले जैसा स्कूल आने का उत्साह गायब था।
विद्यालय आने पर सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय विवेकानंद नगर सुलतानपुर की कक्षा 10 की छात्रा अर्पना पांडे का कहना है कि इतने लंबे समय बाद विद्यालय आने पर हम लोग खुलकर आपस में बातचीत भी नहीं कर सके। हालांकि पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू होने का जो प्रयास हुआ है वह हमारे शिक्षण की गुणवत्ता में बेहतरी लायेगा। वही शिक्षिका श्रद्धा सिंह कहती हैं कि कोरोना महामारी को देखते हुए बच्चों में यह सतर्कता जरूरी है कि वह वह आपस में दूरी बनाकर और अपना बचाव करते हुए शिक्षण कार्य करें, इसी में उनका भविष्य सुरक्षित है।