चित्रकूट , उत्तर प्रदेश की पौराणिक नगरी चित्रकूट में पहली बार गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम बहुत सादगी से मनाया गया।
कई संतों के आश्रम होने के बावजूद बाहर से कोई भी शिष्य अपने गुरु स्थान नहीं आया। मध्यप्रदेश ने अपनी सीमाएं सील कर दी थी। शिष्यों के ना आने के लिए चित्रकूट के संतो ने यह निर्णय पूर्व में ही ले लिया था।
जानकीकुंड आश्रम के श्री महंत राजकुमार दास ने बताया कि शासन और प्रशासन के साथ बैठकर के यह निर्णय लिया गया था कि सभी शिष्य अपने अपने घर से ही गुरु पूजन का कार्य करेंगे उन्हें गुरु स्थान आने की आवश्यकता नहीं है। कोविड-19 को मद्देनजर रखते हुए यह निर्णय पूर्व में ही लिया जा चुका था जिसके चलते चित्रकूट में पूरी तरह सूनापन रहा सभी शिष्यों ने अपने-अपने घरों से ही गुरु पूजन किया।
आसपास के कुछ शिष्य जो गुरु स्थान से आस पास रहते थे उन्होंने ही जाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने अपने गुरुओं की पूजा अर्चना की।