पटना, सावन की पहली सोमवारी को लेकर बिहार में शिवभक्तों में एक उत्साह और ऊर्जा का संचार नजर आ रहा है।
सावन महीने में सोमवार के दिन को लेकर हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ एवं व्रत करने से भगवान शिव अपने भक्त पर प्रसन्न होते हैं। सोमवारी व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिएसोमवारी व्रत किया था। सोमवार के व्रत का शिव की आराधना और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष महत्व है।
हर साल सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु भगवान शिव की विशेष रूप से आराधना और अभिषेक करते थे, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण और लॉकडाउन के नियमों को लेकर मंदिरों में शिव भक्तों को लिए पूजा-अर्चना की अनुमति नहीं दी गई है। देश-विदेश के लोगों के अटूट धार्मिक आस्था के प्रतीक बिहार और झारखंड में लगने वाले विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेले का इस बार कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने के उद्देश्य से आयोजन नहीं होने से लाखों श्रद्धालुओं को निराशा हुई है।
सावन मास में एक महीने तक चलने वाले इस मेले के आयोजन पर झारखंड सरकार के रोक के बाद मेला क्षेत्र और करीब एक सौ दस किलोमीटर लंबे कांवरिया मार्ग पर ‘हर-हर महादेव एवं बोल बम’ के जयघोष के बजाय सन्नाटा पसरा हुआ है। हालांकि भगवान भोले शंकर के भक्त अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना में कोई कमी नहीं कर रहे हैं। शिव भक्त अपने-अपने घरों में भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना पूरे भक्ति भाव के साथ कर रहे हैं। सावन की पहली सोमवारी पर शिवभक्त अपने घर पर रहकर भगवान का गंगजल और दूध के साथ अभिषेक कर रहे हैं। शिवभक्त भगवान को प्रसन्न कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं।
कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने ‘यूनीवार्ता’ को दूरभाष पर बताया कि आज से शिव के प्रिय सावन मास शुरू हो गया है। इस बार पांच सोमवार का महासंयोग बना है।सावन की शुरुआत और समापन दोनों ही सोमवार को हो रही है।सावन का महीना शुभ और विशेष संयोग के साथ छह जुलाई से प्रारंभ होकर से तीन अगस्त को संपन्न होगा। सावन महीने में भगवान शंकर की पूजा पुरे हर्षो-उल्लास से की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में सोमवार को व्रत रखने और भगवान शंकर की पूजा करने वाले जातक को मनवांछित जीवनसाथी प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। विवाहित महिला श्रावण महीने का सोमवार व्रत रखती हैं तो उन्हें भगवान शंकर सौभाग्य का वरदान देते हैं।
श्री शास्त्री ने बताया कि भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का कारण यह भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है। पुराणों के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन महीने में कठोर तप किया था। उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा, महामृत्युंजय मंत्र जाप एवं अभिषेक आदि से बाधा, रोग, शोक, कर्ज से मुक्ति मिलती है शिव पूजा के साथ ॐ नमः शिवाय का जाप, शिव पंचाक्षर, रुद्राष्टक, शिव चलीसा, आदि का पाठ करने से मनचाहा वरदान मिलता है।