नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण पर यथास्थिति बनाए रखने के अपने फैसले पर अंतरिम आदेश को लेकर केंद्र सरकार की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया है।अब इन मसलों पर चार हफ्ते बाद सुनवाई होगी। तबतक 1.3 लाख से ज्यादा पद खाली रहेंगे।
सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ देकर पदोन्नति देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फिलहाल राहत देने से मना कर दिया है। केंद्र सरकार ने मौजूदा समय में पदोन्नति की इजाजत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने केंद्र की ओर से पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि न्याय के हित में हम यथास्थिति के फैसले में कोई बदलाव नहीं करेंगे। इन मसलों पर चार हफ्ते बाद सुनवाई होगी।
अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि 31 जनवरी, 2020 तक 23 विभागों में 1.3 लाख से ज्यादा पद खाली थे। इससे सरकारी कर्मचारियों में असंतोष फैल सकता है। उन्होंने इन खाली पदों पर अस्थायी नियुक्ति का अंतरिम आदेश जारी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसमें मेरिट का कोई प्रश्न नहीं होगा, केवल वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति होगी। बाद में फैसले के आधार पर काम किया जाएगा। सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों की ओर से पेश हुए वकील ने इस मामले में अंतरिम आदेश का विरोध किया।
चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल, 2019 के फैसले पर कोई संशोधन नहीं करने जा रहा है । सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अर्जी को नहीं सुना।
पीठ ने कहा कि सात जजों की पीठ चार हफ्ते में तय करेगी कि सुनवाई किस तरह हो। कोरोना संक्रमण को देखते हुए शीर्ष अदालत 25 मार्च से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई कर रही है।सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि फिलहाल सभी की मौजूदगी में कोर्ट कक्षों में मुकदमों की सुनवाई की संभव नहीं है। कोर्ट ने कहा कि न्यायाधीशों की सात सदस्यीय समिति चार सप्ताह बाद स्थिति पर विचार करेगी।