नयी दिल्ली, केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग की ओर से गुरुवार को अधिसूचना जारी करके कहा कि न्यायमूर्ति सहगल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है और यह आदेश 30 मई से प्रभावी होगा।
न्यायमूर्ति सहगल 15 दिसम्बर 2014 को दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुई थीं और दो जून 2016 को उनकी नियुक्ति नियमित कर दी गयी थी। उनका कार्यकाल 20 जून 2020 तक था।
जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल अगले महीने जून में जज के पद से रिटायर होने वाली थीं। ऐसे में एक महीने पहले दिल्ली हाईकोर्ट से इस्तीफा देने के पीछे का कारण भी साफ हो गया है। जस्टिस ढींगरा बतौर अध्यक्ष दिल्ली स्टेट कंज्यूमर रिड्रेसल कमीशन को ज्वॉइन करने जा रही हैं। कहा जा रहा है कि उनको कुछ वक्त पहले ही इस्तीफा देकर कमीशन ज्वॉइन करना था, लेकिन कोविड-19 के चलते सरकार की तरफ से इस्तीफा अब स्वीकार हो पाया है।
जस्टिस सहगल ने 1981 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की और 1983 में एलएलएम की पढ़ाई पूरी की।बाद में उन्होंने अपनी पीएच.डी. 2012 में एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा से में पूरी की। न्यायमूर्ति सहगल दिल्ली न्यायिक सेवा में 1984 के अपने बैच की टॉपर रही हैं और जुलाई 1985 में वो सेवाओं में शामिल हुई।
हाईकोर्ट आने से पहले वह दिल्ली की गई जिला अदालतों में जज के तौर पर काम करती रहीं। जस्टिस संगीता सहगल ने अप्रैल 2013 से दिसंबर 2014 तक दिल्ली हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के रूप में भी काम किया। उन्हें 15 दिसंबर 2014 को दिल्ली हाइकोर्ट के एक अतिरिक्त जज के रूप में पदोन्नत किया गया और 2 जून 2016 को हाइकोर्ट में स्थायी जज बनाया गया।
जस्टिस संगीता ढींगरा को कड़े फैसले लेने के लिए जाना जाता रहा है। 2011 में जब वो तीस हजारी कोर्ट में बतौर जज कैश फॉर वोट केस की सुनवाई कर रही थीं, तो अमर सिंह के कोर्ट में पेश न होने पर उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया। वारंट जारी होने के कुछ ही घंटों में अमर सिंह कोर्ट पहुंचे तो जज संगीता ढींगरा ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे अमर सिंह को तिहाड़ भेजने में देर नहीं लगाई।