गाजियाबाद, गाजियाबाद के वसुंधरा स्थित आवास विकास परिषद के कुछ अधिकारियों पर लाखों की रकम लेकर परिषद के आवासीय फ्लैटों में अवैध रूप से एक्सटेंशन कराने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण वसुंधरा सेक्टर-17C की फ्लैट संख्या 301, 308, 313 और 319 में हो रहा अवैध निर्माण है। सड़क के किनारे नीचे से ऊपर तक बने इन चारों फ्लैटों में एक साथ पिलर खड़ा कर परिषद की जमीन पर कब्जा कर अवैध एक्सटेंशन किया जा रहा है। अगर ये निर्माण यूं ही जारी रहा तो जल्द ही यहां नीचे से लेकर ऊपर तक चार मंजिला अवैध इमारत खड़ी होगी।
दिलचस्प तो ये है कि जिस इलाके में ये अवैध निर्माण हो रहा है, वहां से आवास विकास परिषद का दफ्तर महज एक किलोमीटर भी दूर नहीं है। ऐसा नहीं है कि आवास विकास के वरिष्ठ अफसरों को इस अवैध निर्माण की जानकारी नहीं है, क्योंकि कहा जा रहा है कि इस प्रकरण से जुड़ा एक ई मेल प्राधिकरण के लखनऊ से लेकर गाजियाबाद तक के आला अफसरों को भेजा गया है।
पहले फ्लैट संख्या 301 में निर्माण शुरू हुआ फिर इसके ऊपर फ्लैट संख्या 308 में एक्सटेंशन की तैयारी जारी है। इसके बाद इसके ऊपर स्थित फ्लैट संख्या 313 और 319 में भी एक साथ पिलर खड़ा करा अवैध निर्माण को पूरा किया जाएगा। दुख की बात ये है कि ये सब आवास विकास के स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से और उनकी जानकारी में हो रहा है।
आला अफसरों को ई-मेल से भेजी गई शिकायत पर कार्रवाई नहीं
सूत्रों के मुताबिक संबंधित इलाके के अफसरों को इस निर्माण कार्य की पूरी जानकारी है, क्योंकि यहां करीब एक महीने से ज्यादा समय से कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। लोगों का आरोप है कि आवास विकास के अधिकारियों ने मोटी रकम लेकर इस निर्माण के प्रति आंखें मूंद रखी हैं।
अवैध निर्माण से हुए हादसों से कब सबक सीखेंगे अफसर?
जानकार लोगों का कहना है कि इस तरह के अवैध निर्माण से पूरी बिल्डिंग को खतरा हो सकता है। नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में अवैध निर्माण से बनी इमारतों और प्राइवेट बिल्डरों की बनाई बिल्डिंग ढहने की कई घटनाओं के सामने आने के बावजूद इस तरह की अवैध गतिविधियों को सरकारी अधिकारियों के संरक्षण में होने देना बहुत ही गंभीर चिंता की बात है। आपको बता दें कि पिछले दस सालों में पूरे एनसीआर में अवैध निर्माण की वजह से हुई दुर्घटनाओं में कई मकान जमींदोज हो चुके हैं और सैकड़ों लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। फिर भी अवैध निर्माण का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इसलिए इस तरह के अवैध निर्माण को समय रहते रोकने और दोषियों पर कार्रवाई के लिए सरकारी स्तर पर गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।