मौलिक अधिकारों की रक्षा नहीं की गई तो संविधान का महत्व खत्म हो जाएगा -सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली,  पूर्व सॉलिसिटर जनरल एवं एक मामले में न्यायमित्र हरीश साल्वे ने कहा कि सरकारी कामकाज देखने वाले निजी पक्षों द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन का कोई उपाय नहीं ढूंढा गया तो संविधान अपना महत्व खो देगा।

श्री साल्वे ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्राए न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जीए न्यायमूर्ति विनीत सरनए न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट की संविधान पीठ के समक्ष कहा कि जीवन एवं समानता का अधिकार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार सरकार के लिए बाध्यकारी है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।

उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान से जुड़े विवाद में विभिन्न कानूनी बिंदुओं पर चर्चा के लिए गठित पांच.सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष श्री साल्वे ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी को परिभाषित करने के लिए एक नियमन प्रणाली विकसित करना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र बहुत ही भंगुर हैए जबकि ष्तंत्र में लोकष् का भरोसा ही लोकतंत्र का प्रतीक है एवं अवमानना कानून का इस्तेमाल किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ नहींए बल्कि एक संस्था में लोगों का भरोसा बनाये रखने के लिए जरूरी है।

श्री साल्वे ने कहा कि संविधान की शपथ लेने वाले मंत्री को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी संविधान के दायरे में रहकर ही करना चाहिए। उन्होंने अपनी दलीलें पूरी कर ली।

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