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घर में किराएदार हैं तो आपके लिए ये बात जानना है बेहद जरुरी

नई दिल्ली,किराएदार रखने वाले मकान मालिकों को अब आयकर रिटर्न भरते समय किराएदार की जानकारी भरनी पड़ेगी। मकान मालिक को आयकर रिटर्न भरते समय किराएदार का पैन या आधार नंबर देना होगा। लॉज मालिक हैं तो सभी किराएदार का ब्योरा आयकर रिटर्न में देना होगा।

वित्तीय वर्ष 2020-21 के आयकर रिटर्न में किराएदारों का पैन या आधार नंबर देना अनिवार्य कर दिया गया है। रिटर्न में किराए की राशि का भी जिक्र करना होगा। केंद्र सरकार के कर व वित्त सलाहकार डॉ. पवन जायसवाल ने बताया कि अबतक आयकर रिटर्न भरते समय मकान में किराएदारी दिखाना अनिवार्य नहीं था। नए वित्तीय वर्ष से किराएदारी पर आयकर में किया गया बदलाव अप्रैल 2020 से प्रभावी हो जाएगा।

आयकर रिटर्न में किराएदारों का ब्योरा देने वालों को 30 प्रतिशत की सीधे छूट देने का प्रावधान किया गया है। इसमें भवन स्वामी किराएदारी से होने वाली जो भी आय रिटर्न में दर्शाएंगे उसकी 70 फीसदी राशि पर आयकर देना होगा। कर्ज लेकर बनाए मकान में भी आयकर में छूट मिलेगी।

मकान मालिक किराएदारी से होने वाली आय छिपाते हैं तो पकड़े जाएंगे। खासकर कर्मचारियों को किराए पर रखने वाले मकान मालिक आयकर विभाग से बच नहीं सकते। कर व वित्त विशेषज्ञ डॉ. पवन जायसवाल कहते हैं कि आयकर में छूट पाने के लिए कर्मचारी किराएदारी की रशीद अपने रिटर्न में लगाते हैं। किराए से आय रिटर्न में नहीं दर्शाने पर किराएदारी को जारी रशीद से आयकर विभाग मकान मालिक को नोटिस भेज देगा।

मकान, लॉज और हॉस्टलों में रहने वाले किराएदारों का ब्योरा आयकर विभाग आर्थिक गणना से मिलने वाले आंकड़ों से भी लेगा। आर्थिक गणना 2020 में सभी घरों के आंकड़े लिए जा रहे हैँ। इसके बाद जनगणना भी होगी। दोनों गणना से मिलने वाले आंकड़े के बाद किराएदारी छिपाने वाले मकान मालिकों की पहचान की जाएगी।

आयकर में किराएदारी पर हुए बदलाव की जद में संगमनगरी के सवा लाख से अधिक मकान होंगे। इनमें 30 हजार से अधिक लॉज हैं जहां प्रतियोगी या सामान्य छात्र रहते हैं। बाकी एक लाख मकानों में सरकारी, गैर सरकारी या अन्य किराएदार रहते हैं। नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि शहर के लॉज में कमरों की संख्या डेढ़ लाख से ऊपर हो सकती है।