कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के कारण चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर के मात्र 1.9 फीसदी रहने का अनुमान जताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो दर में कमी करते हुए अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए कई उपायों की घोषणा की।
इस बीच पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश समेत देश के विभिन्न राज्यों में खेती का मौसम परवान पर है जबकि कोरोना के कारण व्यावसायी अपने-अपने व्यवसाय में सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने काे मजबूर हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इन उपायों की घोषणा की तथा अच्छे मानसून के अनुमान को अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा बताया। उन्होंने कहा कि महामारी के दौर में बैंकिंग क्षेत्र काम कर रहे हैं। उन्होंने नाबार्ड को 25 हजार करोड़ देने का एलान किया। हाउसिंग सेक्टर को 10 हजार करोड़ रुपए देने की घोषण की। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरे दौर में है। उन्होंने आश्वस्त किया कि नकदी की कमी नहीं होने दी जाएगी।
आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में कमी की है यानी बैंकों को आरबीआई में पैसा रखने की जरूरत नहीं। रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कमी की गयी है, यह अब 3.75 फीसदी पर आ गया है।
रिजर्व बैंक ने देश में कोरोना के बढ़ते मामले पर नजर बनाये रखी है और देश में कामकाज को सुचारु बनाये रखने के लिए कई पहल की है। रिजर्व बैंक ने फिलहाल बैंकों को डिविडेंड बांटने से भी मना कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन के दौरान नकदी की दिक्कतों को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक के कदमों का स्वागत करते हुए कहा कि इन उपायों से तरलता की तंगी दूर होगी और ऋण देने में सुधार आयेगा। रिजर्व बैंक ने आज रिवर्स रेपो दशमलव 25 प्रतिशत घटाने के साथ ही वित्तीय संस्थानों में हजार करोड़ रुपये समेत अन्य कई कदमों का एलान किया है।
श्री मोदी ने ट्वीट किया,“ रिजर्व बैंक के आज के कदम से तरलता में काफी वृद्धि के साथ ही ऋण देने में सुधार होगा। ये कदम छोटे कारोबारियों, लघु और मझौले उद्योग, किसानों और गरीबों के लिए मददगार होंगे। इन कदमों से राज्यों की डब्ल्यूएमए सीमा सुधारने में भी मदद मिलेगी।”
इस बीच, कोरोना से राहत मिलने की भी खबर सामने आयी। देश में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ से संक्रमितों के स्वस्थ होने की रफ्तार में इजाफा हो रहा है और अब तक ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 1767 हो गयी है। संक्रमितों की रिकवरी दर 13़ 06 प्रतिशत है जिससे पता चलता है कि कोरोना संकट से निपटने के लिए सही दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि लॉकडाउन से पहले देश में तीन दिनों कोरोना वायरस मरीजों की संख्या दुगुनी हो जाती थी और पिछले सात दिनों के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो दुगुनी होने की दर 6़ 2 दिन हो गयी है। देश के 19 राज्य तथा संघ शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां यह ‘डबलिंग रेट’ देश के औसत से भी कम हैं। इनमें केरल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना,असम, पुड्डुचेरी, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु, असम और त्रिपुरा शामिल हैं। इस दिशा में अभी और काम किया जाना है ताकि इस दर को और कम किया जा सके।
इसके अलावा कोरोना के मामले में वृद्धि दर यानी पहले के दिनों की तुलना में अब कितने मामले आ रहे हैं तो हमें समझ लेना होगा कि एक अप्रैल से अब तक यह वृद्धि दर 1़ 2 देखी जा रही है लेकिन 15 मार्च से 31 मार्च तक इसका औसत 2़ 1 था और इसमें 40 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अलावा ‘आउटकम रेश्यो’ यानी कितने मरीज ठीक हुए औैर कितनों की मौत हुई है तो इसमें पता चलता है कि ठीक होने वाले की दर 80 प्रतिशत और मरने वालों का आंकड़ा 30 प्रतिशत है जो विश्व के अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर है।
गौरतलब है कि पिछले 24 घंटे के दौरान देश के 32 विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना वायरस संक्रमण के 1076 नये मामले सामने आने के साथ ही अब तक कुल 13835 मामलों की पुष्टि हुई है जिनमें 76 विदेशी मरीज भी शामिल हैं। अब तक 1767 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोना से 32 और लोगों की मौत के बाद मृतकों का आंकड़ा 452 हो गया है।