कोरोना वायरस को लेकर चीन कटघरे में, इन्होने विरोध का बजाया बिगुल?

नयी दिल्ली,  कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ को लेकर चीन को कथित तौर पर ‘जैविक युद्ध’ छेड़ने के लिए कटघरे में खड़ा किया जाने लगा है।

इसी क्रम में ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट’ (आईसीजे) और ऑल इंडिया बार एसोसिएशन ने जहां चीन को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में घसीटा है वहीं स्वदेशी उत्पादों के हिमायती योग गुरू स्वामी रामदेव ने भी विश्व समुदाय से चीन के आर्थिक और कूटनीतक बहिष्कार करने की वकालत की है।

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स्वामी रामदेव ने शुक्रवार को कहा कि सचमुच चीन ने अमानवीय और अनैतिक कार्य किया है तथा सम्पूर्ण विश्व को घोर संकट में डालने का कृत्य किया है। उन्होंने कहा, “इसके लिए विश्व समुदाय द्वारा चीन को कूटनीतिक और आर्थिक दण्ड दिया जाना चाहिए और इसका कूटनीतिक एवं आर्थिक बहिष्कार करना चाहिए।‌

उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े प्रजातंत्र भारत को भी चीन को अलग-थलग करने के लिए कूटनीतिक पहल करनी चाहिए।

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उधर, आईसीजे और एआईबीए ने यूएनएचआरसी में चीन के खिलाफ शिकायत दायर की है, जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के रूप में पूरे विश्व में ‘मानवता के खिलाफ गंभीर अपराध’ हुआ है। आईसीजे और एआईबीए के अध्यक्ष डॉ अदिश सी अग्रवाल ने यूएनएचआरसी में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीन की आधिकारिक सेना) और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इन्होंने दुनिया के खिलाफ ‘एक जैविक युद्ध की साजिश’ रची है।

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शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि कोविड-19 महामारी ‘चीन की सरकार की साजिश थी, जिसका उद्देश्य विश्व की महाशक्ति के रूप में खुद को उभारना और जैविक युद्ध के माध्यम से अन्य देशों को कमजोर करना था। अर्जी में यह भी आरोप लगाया है कि कोविड महामारी से निपटने में चीनी सरकार और उनके अधिकारियों ने घोर लापरवाही और अक्षमता या अयोग्यता बरती है। जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए विभिन्न चार्टर्स और दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है। लाखों लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया गया है। इसके कारण दुनिया भर में जीवन और व्यवसाय पूरी तरह से ठहर गया है।

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आईसीजे ने कहा है कि चीन ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 25(एक) का उल्लंघन किया है जो मानव स्वास्थ्य और कल्याण के अधिकार को प्रावधान करता है। इस संबंध में चीनी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य थी कि वह लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हस्तक्षेप न करे। हालांकि, घातक वायरस के बारे में जानकारी होने के बावजूद चीन सरकार ने जानबूझकर जानकारी छुपा ली, जिससे वैश्विक महामारी फैल गई।

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