नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री ने कोविड-19 जैसे वैश्विक संकट काल से निपटने में संस्कृति की भूमिका को बहुत अहम बताया है और कहा है कि लोगों तक तकनीक के माध्यम से भावनात्मक ऊर्जा पहुंचाने के लिए भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को डिजीटल प्लेटफॉर्म पर लाया जा रहा है।
श्री मोदी ने यहां आकाशवाणी पर मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में वाराणसी के एक मंदिर से सौ साल पहले चोरी हुई देवी अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा कनाडा से वापस आने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, “आपदा में संस्कृति बड़े काम आती है, इससे निपटने में अहम भूमिका निभाती है। तकनीक के माध्यम से भी संस्कृति, एक, भावनात्मक ऊर्जा की तरह काम करती है।”
प्रधानमंत्री ने माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा को लौटाने के लिए कनाडा की सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि माता अन्नपूर्णा का काशी से बहुत ही विशेष संबंध है। अब उनकी प्रतिमा का वापस आना हम सभी के लिए सुखद है। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही, हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहरें, अंतर्राष्ट्रीय गिरोंहों का शिकार होती रही हैं। ये गिरोह अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन्हें बहुत ऊँची कीमत पर बेचते हैं। अब इन पर सख्ती तो लगायी ही जा रही है, इनकी वापसी के लिए भारत ने अपने प्रयास भी बढ़ायें हैं। ऐसी कोशिशों की वजह से बीते कुछ वर्षों में, भारत, कई प्रतिमाओं, और कलाकृतियों को वापस लाने में सफल रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पूर्व ही विश्व धरोहर सप्ताह मनाया गया था। यह संस्कृति प्रेमियों के लिये, पुराने समय में वापस जाने, उनके इतिहास के अहम् पड़ावों को पता लगाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। कोरोना कालखंड के बावजूद भी, इस बार हमने, नवान्वेषी तरीके से लोगों को ये धरोहर सप्ताह मनाते देखा।
उन्होंने कहा कि देश में कई संग्रहालय एवं पुस्तकालय अपनी सामग्री को पूरी तरह से डिजीटल बनाने पर काम कर रहे हैं। दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय ने इस सम्बन्ध में कुछ सराहनीय प्रयास किये हैं। राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा करीब दस वर्चुअल वीथिकाएं तैयार करने की दिशा में काम चल रहा है। अब, लोग घर बैठे दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय वीथिकाओं का भ्रमण कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर सांस्कृतिक धरोहरों को तकनीक के माध्यम से अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचाना अहम् है, वहीं, इन धरोहरों के संरक्षण के लिए तकनीक का उपयोग भी महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने नॉर्वे के स्लावबर्ड द्वीप में आर्कटिक वर्ल्ड आर्काइव परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि इस आर्काइव में बहुमूल्य धरोहरों का विवरण इस प्रकार से रखा गया है कि किसी भी प्रकार के प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं से प्रभावित ना हो सकें। अभी हाल ही में, यह भी जानकारी आयी है, कि, अजन्ता गुफाओं की धरोहर को भी डिजीटल स्वरूप में इस आर्काइव में संजोया जा रहा है। इसमें, अजन्ता गुफाओं की पूरी झलक देखने को मिलेगी। इसमें, डिजीटाइज़्ड और संरक्षित पेंटिंग के साथ-साथ इससे सम्बंधित दस्तावेज़ और उद्धरण भी शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और शास्त्र, हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं। कई लोग तो, इनकी खोज में भारत आए, और, हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए, तो, कई लोग, वापस अपने देश जाकर, इस संस्कृति के संवाहक बन गए। उन्होंने ब्राजील के जॉनस मैसेती के बारे में जानकारी साथ करते हुए कहा कि जॉनस को ‘विश्वनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है। वह ब्राजील में लोगों को वेदांत और गीता सिखाते हैं। वे विश्वविद्या नाम की एक संस्था चलाते हैं जो रियो डि जेनेरो करीब एक घंटे की दूरी पर पेट्रोपोलिस के पहाड़ों में स्थित है।
उन्होंने कहा कि जॉनस ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद, शेयर बाजार में अपनी कंपनी में काम किया, बाद में, उनका रुझान भारतीय संस्कृति और खासकर वेदान्त की तरफ हो गया। शेयर से लेकर के आध्यात्मिकता तक, वास्तव में, उनकी, एक लंबी यात्रा है। जॉनस ने भारत में वेदांत दर्शन का अध्ययन किया और चार साल तक वे कोयंबटूर के आर्ष विद्या गुरूकुलम में रहे हैं । जॉनस में एक और खासियत है, वो, अपने संदेश को आगे पहुंचाने के लिए तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। वह नियमित रूप से ऑनलाइन कार्यक्रम करते हैं । वे प्रतिदिन पोडकास्ट करते हैं। पिछले 7 वर्षों में जॉनस ने वेदांत पर अपने निशुल्क मुक्त पाठ्य सत्रों के माध्यम से डेढ़ लाख से अधिक लोगों को पढ़ाया है।
जॉनस ना केवल एक बड़ा काम कर रहे हैं, बल्कि उसे एक ऐसी भाषा में कर रहे हैं जिसे समझने वालों की संख्या भी बहुत अधिक है। उन्होंने कहा, “ लोगों में इसको लेकर काफी रुचि है कि कोरोना और क्वारेंटाइन के इस समय में वेदांत कैसे मदद कर सकता है? ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं जॉनस को उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूं और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।”
श्री मोदी ने न्यूजीलैंड में वहाँ के नवनिर्वाचित सांसद डॉ० गौरव शर्मा द्वारा संस्कृत भाषा में शपथ लेने का उल्लेख करते हुए कहा, “एक भारतीय के तौर पर भारतीय संस्कृति का यह प्रसार हम सब को गर्व से भर देता है। ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं गौरव शर्मा जी को शुभकामनाएं देता हूं। हम सभी की कामना है, वो, न्यूजीलैंड के लोगों की सेवा में नई उपलब्धियां प्राप्त करें।”