लखनऊ, सामाजिक संस्था बहुजन भारत के अध्यक्ष एवं पूर्व आईएएस कुंवर रतेह बहादुर ने कहा कि आरएसएस बैकग्राउंड से आये यूपी के राज्य मंत्री दिनेश खटीक को दूसरी बार मंत्री बनने के बाद पता चला कि दलित होने की वजह से उनके साथ उत्पीडन हो रहा है, देर से ही सही लेकिन उन्हें इस बात का एहसास हो गया कि दलित होने की वजह से मंत्री रहते हुए भी उनका उत्पीडन हो सकता है। ऐसे में अन्य दलों से भाजपा में शामिल हुए दलित और पिछड़ा वर्ग के नेताओं को भी अपना सम्मान और स्वाभिमान बचाने के लिए एकजुट होकर समाज को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए अपनी आवाज को बुलंद करना होगा।
संस्था मुख्यालय पर हुई बैठक में कुंवर फ़तेह बहादुर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों में गड़बड़ी का मामला खुद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने उठाया, जल शक्ति विभाग में भी तबादलों में भ्रष्टाचार का मामला इस सरकार के मंत्री ही उठा रहे हैं, लोक निर्माण विभाग में तबादलों में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कई अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की गयी, उन्होंने कहा कि विभागों में तबादलों में भ्रष्टाचार के मामले खुद मंत्री ही उठा रहे हैं, ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह सभी विभागों में हुए तबादलों की जांच करा ले। उन्होंने कहा कि यूपी में 86 सुरक्षित विधानसभा सीटों में से अधिकांश पर भाजपा चुनाव जीती है और इसी तरह अरक्षित लोकसभा की अधिकांश सीटों पर भाजपा का ही कब्ज़ा है, बावजूद इसके अनुसूचित जाति और जनजाति से जुडी समस्याओं का प्रभावी निराकरण नहीं किया जा रहा है, छात्रवृति और फीस प्रतिपूर्ति ना होने के कारण लाखों दलित वर्ग के छात्रों को अपनी पढाई छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा, जबकि इस विभाग के मंत्री भी दलित वर्ग से ही आते हैं।
सामाजिक संस्था बहुजन भारत ने आरक्षित वर्ग के सभी विधायकों और सांसदों को पत्र लिखकर सभी विभागों में आरक्षण का कोटा पूरा करने, प्रोन्नति में आरक्षण लागू कराने और जातीय जनगणना कराने की मांग की, लेकिन अभीतक इस दिशा में किसी भी जनप्रतिनिधि ने किसी भी सदन में इस मुद्दे को लेकर कोई आवाज नहीं उठाई, दलित समाज के जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बनती है कि समाज हित में दलितों की समस्याओं के निराकरण के लिए वे सदनों में अपनी आवाज बुलंद करें। बैठक में संस्था के महासचिव चिंतामणि, उपाध्यक्ष नन्द किशोर, कोषाध्यक्ष राम कुमार गौतम, संयुक्त सचिव एडवोकेट कृष्ण कन्हैया पाल, नवल किशोर, जवाहर लाल, बसंत लाल वर्मा, डॉ. आनंद स्वरुप आदि ने भी अपने विचार रखे।