नयी दिल्ली , आयकर विभाग ने बेंगलुरु में पंजीकृत दो प्रमुख ट्रस्टों के 56 परिसरों में छापेमारी की कार्रवाई कर बड़े पैमाने पर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति का खुलासा किया है।
विभाग ने कल बेंगलुरु और मेंगलुरु में पंजीकृत नौ प्रमुख ट्रस्टों के खिलाफ तलाशी और जब्ती अभियान चलाया। ये ट्रस्ट मेडिकल कॉलेज सहित कई शैक्षणिक संस्थान चला रहे हैं। तलाशी अभियान कर्नाटक और केरल के 56 विभिन्न स्थानों पर चलाया गया था।
तलाशी के दौरान मिले सबूतों सेअभी तक संकेत मिलते हैं कि ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया में हेराफेरी के द्वारा अवैध कैपिटेशन शुल्क के रूप में 402.78 करोड़ रुपये स्वीकार किए गए हैं और आयकर विभाग के समक्ष इसका खुलासा नहीं किया गया है। तलाशी के दौरान 15.09 करोड़ रुपये की नकद धनराशि जब्त की गई है। ट्रस्टियों के आवासीय परिसरों से 81 किलो सोने के आभूषण (लगभग 30 करोड़ रुपये मूल्य के), 50 कैरेट के हीरे व 40 किलोग्राम चांदी बरामद हुई है और प्रथमदृष्ट्या ये वस्तुएं अघोषित हैं। घाना में 2.39 करोड़ रुपये की अघोषित विदेशी संपदाओं के अलावा बेनामी रूप में 35 लग्जरी कारों में भारी निवेश के सबूत मिले हैं।
तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान पाया गया था कि इन मेडिकल कॉलेजों के ट्रस्टियों और प्रमुख लोगों ने एजेंटों और एनईईटी परीक्षा में अच्छी रैंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों के साथ मिलीभगत से एनईईटी के माध्यम से हुई मेडिकल कॉलेजों की पारदर्शी चयन प्रक्रिया को बिगाड़ दिया था। अनियमितता के पहले चरण में एनईईटी परीक्षा में अच्छी रैंक हासिल करने वाले कुछ विद्यार्थियों ने राज्य काउंसलिंग के माध्यम से एमबीबीएस में प्रवेश ले लिया, इससे कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) की काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान एजेंटों/ बिचौलियों/ कन्वर्टर्स (जो नियमित सीटों को प्रबंधन सीटों में परिवर्तित करने से जुड़ी सेवा उपलब्ध कराते हैं) की मिलीभगत से एक मेडिकल कॉलेज में मेडिकल पाठ्यक्रम की सीटें ब्लॉक कर ली गईं। इस क्रम में, ये विद्यार्थी प्रवेश प्रक्रिया से बाहर हो गए जिससे खाली सीटें कॉलेज प्रबंधन के लिए उपलब्ध हो गईं। ये सीटें “खाली सीटों के चरण” (प्रवेश के चरण के बाद एक कॉलेज में खाली या बिना भरी सीटें) के माध्यम से भरने के लिए कॉलेज प्रबंधन को उपलब्ध हो गईं। इस चरण में, कॉलेज प्रबंधन ने कैपिटेशन शुल्क/ नकद डोनेशन के रूप में भारी धनराशि लेकर कम योग्य अभ्यर्थियों (एनईईटी में कम रैंक हासिल करने वाले) को प्रवेश देकर भर दीं, जो कर्नाटक शैक्षणिक संस्थान (कैपिटेशन शुल्क निषेध) अधिनियम, 1984 के तहत अवैध है। कैपिटेशन शुल्क इन मेडिकल कॉलेजों के प्रमुख लोगों/ ट्रस्टियों के द्वारा नियुक्त दलालों/ एजेंटों के एक नेटवर्क के माध्यम से इकट्ठा किया जाता है।
तलाशी अभियान के परिणाम स्वरूप एमबीबीएस, बीडीएस और परास्नातक सीटों में प्रवेश को सीट के लिए नकदी लेने से जुड़े कई सबूत जब्त हुए, जिनमें विभिन्न वर्षों के लिए इन कॉलेजों में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों/ दलालों से मिलीं नोटबुक्स, हस्त लिखित डायरियां, नकदी के विवरण से युक्त एक्सेल शीट शामिल हैं। इस बात का भी खुलासा हुआ कि प्रबंधन, शिक्षक, कर्मचारी, मेधावी विद्यार्थी और दलाल ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा में हेराफेरी के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही सबूतों से संकेत मिले हैं कि प्रबंधन कोटे के विद्यार्थियों को लिखित परीक्षा और वायवा में पास करने के लिए एक लाख से दो लाख रुपये में एक प्रकार की ‘पैकेज व्यवस्था’ है।
ऐसे भी सबूत मिले हैं, जिनसे प्रथमदृष्ट्या पता चलता है कि इन कॉलेजों में ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया में हेराफेरी के द्वारा मिली नकद धनराशि को ट्रस्टियों द्वारा गैर धर्मार्थ उद्देश्यों में लगा दिया गया है, जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 12एए का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। इसके अलावा, अचल संपत्तियों ने भारी मात्रा में नकदी के रूप में निवेश के कई मामले सामने आए हैं, जिन पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 69 के प्रावधान लागू होते हैं। एक कॉलेज टिंबर/ प्लाईवुड उद्योग में उतर गया, जहां कम धनराशि की इनवॉयस बनाने से जुड़े सबूत भी पाए गए हैं।