नई दिल्ली, भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर चीनी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने अपने भारतीय समकक्षों को बधाई संदेश भेजे और मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है। पिछले कुछ महीनों के दौरान दोनों देशों के बीच ऐसे कई इवेंट्स गुजरे हैं, जिन्हें देखकर कहा जा सकता है कि पड़ोसी देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ अब धीरे-धीरे पिघल रही है।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पिछले महीने ही एक बयान में कहा कि भारत-चीन संबंधों में अक्टूबर 2024 के बाद से सुधार हुआ है। उन्होंने बेहतर रिश्तों पर जोर देते हुए कहा कि अंतर को विवाद नहीं बनना चाहिए और प्रतिस्पर्धा को संघर्ष नहीं बनना चाहिए। हम कई मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे बीच संघर्ष होना चाहिए। वहीं दूसरी ओर बीते महीने अमेरिकी एआइ रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के प्रति सकारात्मक टिप्पणी की थी, जिसकी तारीफ ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भी की थी।
इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने भारत-चीन संबंधों की स्थापना का जश्न मनाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिसरी मुख्य अतिथि थे। इससे पहले तक चीनी दूतावास के कार्यक्रमों में अक्सर कनिष्ठ अधिकारियों को भेजा जाता था, मगर विगत अक्तूबर में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान संबंधों की नई शुरुआत के लिए सामने आए थे और तभी से रिश्ते सुधरे हैं। उसी महीने सैनिकों के वास्तविक नियंत्रण रेखा से पीछे हटने पर सहमति बनी, तो पिछले पांच महीनों में विदेश मंत्रियों की दो बैठकें भी हुई हैं।
विगत नवंबर में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठकें हुईं, तो इस वर्ष जनवरी में बीजिंग में विदेश सचिवों की बैठक हुई। नतीजतन कैलाश-मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने, दोनों देशों की बीच सीधी उड़ानें और नए वीजा जारी करने समेत कई फैसले लिए गए।
दोनों ही देशों के दूतावास भी निरंतर समन्वय कर रहे हैं। बीते हफ्ते 19 अप्रैल को बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास में कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में ‘इंडिया इंप्रेशन्स फिल्म फेस्टिवल’ का आगाज हुआ, जिसमें कई भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई। विशेषज्ञ रिश्तों पर जमी इस बर्फ के पिघलने के अमेरिकी टैरिफ से लेकर व्यापार के बदलते समीकरणों सहित कई कारण मान रहे हैं, मगर जो भी हो, दो ताकतवर पड़ोसियों के बीच रिश्तों में सुधार दोनों देशों के ही हित में है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)