नई दिल्ली, घर-घर खुशी और गम का पैगाम बांटने वाले डाकिया के कामकाज की शैली भले ही बदल गई हो लेकिन उसकी प्रतिबद्धता आज भी कम नहीं हुई और इसलिए कोरोना से लड़ने के लिए जारी लॉकडाउन में भी विधवा, दिव्यांग और गरीबों के न केवल आंसू पोछ रहा है बल्कि तमाम जोखिम उठाकर उनके चेहरे पर मुस्कान भी बांट रहा है।
डाकघर का नया-नवेला इंडिया पोस्ट लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर उभरा है। शाखाओं में भीड़ नहीं लगने देने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिये ये घर-घर पहुंचने की सेवा शुरू की गई है।
बिहार के जमुई जिले की दिव्यांग शिवआरती देवी लॉकडाउन के कारण अकेले बैंक नहीं पहुंच पाने की वजह से पैसे-पैसे को मोहताज हो गई थी। सूचना मिलने पर इंडिया पोस्ट की जमुई शाखा के कर्मचारी सदानंद प्रसाद शिवआरती देवी के घर पहुंचे और आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) से एक हजार रुपये का भुगतान किया।
इसी तरह समस्तीपुर जिले में गढ़सिसई गांव की 84 वर्षीय रामश्रृंगारी देवी भी पैसे की तंगी झेल रही थी लेकिन इंडिया पोस्ट के कर्मचारी रविशंकर कुमार गिरि तमाम जोखिम उठाकर उनके घर पहुंचे और उन्हें वृद्धापेंशन योजना की 2000 की राशि उपलब्ध कराई।
इंडिया पोस्ट के बिहार सर्किल के पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान इंडिया पाेस्ट के कर्मचारियों के अथक प्रयास से जरूरतमंदों की जरूरतें पूरी हो पाने में मददगार साबित हुई हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में 01 अप्रैल तक बिहार सर्किल ने एक लाख 84 हजार गरीब, विधवा, असहाय, दिव्यांग एवं अन्य जरूरतमंदों तक 38 करोड़ रुपये पहुंचाए हैं।