नई दिल्ली, विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों ने भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माताओं में से एक डॉ. बी. आर. आंबेडकर को सम्मान देते हुए धूमधाम से आंबेडकर जयंती मनाई। दुनिया भर में विभिन्न भारतीय मिशनों ने उनकी विरासत का जश्न मनाने और न्याय, समानता एवं सामाजिक सुधार में उनके स्थायी योगदान को याद करते हुए सम्मेलन और सेमिनार आयोजित किए।
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारतीय मिशन ने एक विशेष कार्यक्रम के साथ डॉ. आंबेडकर की 134वीं जयंती मनाई। सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री डॉ. रामदास अठावले ने ‘संयुक्त राष्ट्र और उसके बाहर डॉ. आंबेडकर के विजन की कालातीत अपील’ शीर्षक वाले कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया। अपने भाषण में, मंत्री ने डॉ. आंबेडकर के आदर्शों को परिवर्तनकारी कार्रवाई में लाने के लिए भारत द्वारा की गई कई पहलों पर जोर दिया।
वहीं टोक्यो में भारतीय दूतावास ने एक स्मारक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें राजदूत सिबी जॉर्ज, दूतावास के कर्मचारी और प्रवासी भारतीयों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की और डॉ. आंबेडकर की समानता और न्याय की स्थायी विरासत पर बात की। इसी तरह, न्यूजीलैंड में भारतीय उच्चायोग ने एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया, जहां उच्चायुक्त नीता भूषण और उनकी टीम ने डॉ. आंबेडकर द्वारा समाज के लिए किए गए कार्यों को याद किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के सदस्यों ने हिस्सा लिया।
इसके अलावा मंगोलिया स्थित भारतीय दूतावास ने ‘राष्ट्र निर्माण में भारत और मंगोलिया के संविधानों का योगदान’ शीर्षक से एक सम्मेलन आयोजित करके डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम में भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ और भारत-मंगोलिया राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ भी मनाई गई।
ये वैश्विक स्मरणोत्सव डॉ. आंबेडकर के प्रति गहरी श्रद्धा को दर्शाते हैं। आंबेडकर की दृष्टि और आदर्श न केवल भारत, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी प्रेरित करते हैं। न्याय, समानता और मानवीय गरिमा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता दुनिया भर के लोकतांत्रिक समाजों के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश बनी हुई है। इन श्रद्धांजलियों के माध्यम से भारत ने डॉ. आंबेडकर द्वारा समर्थित मूल्यों को बनाए रखने और उनकी कालातीत विरासत को दुनिया के साथ साझा करने के लिए अपने समर्पण की पुष्टि की है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)