नयी दिल्ली, भारतीय रेलवे ने 12 सितंबर से 80 और विशेष ट्रेनें शुरू करने तथा इन ट्रेनों सहित सभी गाड़ियों में एक सप्ताह से अधिक की प्रतीक्षा सूची होने पर क्लोन ट्रेन अर्थात डुप्लीकेट गाड़ी चलाने की शनिवार को घोषणा की।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विनोद कुमार यादव ने यहां एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 11 और 12 सितंबर की मध्य रात्रि से 40 जोड़ी विशेष ट्रेनें यानी 80 गाड़ियों को शुरू किया जा रहा है। इस प्रकार से विशेष गाड़ियों की संख्या 310 हो जाएगी। 230 ट्रेनें पहले से ही चल रहीं हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इन 80 गाड़ियों के निर्धारण में श्रमिक स्पेशल गाड़ियों के मार्ग का ध्यान रखा गया है। ऐसा देखने में आया है कि जो मजदूर कोविड-19 के कारण पलायन करके घर पहुंचे थे, वे अब वापस लौट रहे हैं। नयी गाड़ियों से उन्हें वापस कार्य स्थल पर पहुंचने में आसानी होगी।
श्री यादव ने बताया कि रेलवे बोर्ड इन सभी ट्रेनों में बुकिंग की स्थिति को बारीकी से देख रहा है।
यात्रियों को अधिक सुविधा देने की प्रतिबद्धता के साथ रेलवे ने यह भी तय किया है कि यदि किसी मार्ग पर किसी ट्रेन में अगले सात से लेकर 10 दिनों तक बुकिंग में प्रतीक्षा सूची आ रही है तो रेलवे उस गाड़ी की एक क्लोन ट्रेन चलाएगा। यह डुप्लीकेट गाड़ी मुख्य गाड़ी से पहले रवाना की जाएगी और उसके ठहराव भी कम रखे जाएंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या रेलवे इसी साल से रेल यातायात को प्रतीक्षा सूची से मुक्त करने की पहल करने जा रहा है, श्री यादव ने कहा कि रेलवे की पहले से ही यह प्रतिबद्धता है। जीरो बेस समय सारणी बनायी जा रही है। इसमें क्लोन ट्रेन चलाने का विकल्प शामिल किया जा रहा है। अभी विशेष ट्रेनें चल रहीं हैं। उनमें कुछ गाड़ियों में मांग ज्यादा है। ऐसा प्रयास है कि कोविड प्रकोप के पश्चात रेल यातायात को प्रतीक्षा सूची से मुक्त रखने का प्रयास किया जाएगा।
जीरो बेस टाइम टेबल की चर्चा करते हुए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं सीईओ ने कहा कि इसके माध्यम से गाड़ियों के प्रस्थान एवं गंतव्य पर आगमन के समय का इस प्रकार से ध्यान रखा जाएगा कि यात्री देर रात या अन्य असुविधाजनक समय गंतव्य न पहुंचे। गाड़ियों को उनके प्रकार के हिसाब से क्लस्टर के आधार पर चलाया जाएगा। मालगाड़ियों के परिचालन के लिए अलग क्लस्टर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस जीरो बेस समय सारणी का मकसद गाड़ियों की औसत रफ्तार बढ़ाना है जिससे समय की अधिक से अधिक बचत हो और उस दौरान नयी गाड़ियों को चलाया जा सके।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जीरो बेस समय सारणी सामान्य रेल यातायात की बहाली के साथ ही लागू किया जाएगा। इस बीच गाड़ियों की मांग के बारे में भी अध्ययन किया जा रहा है। यदि किसी गाड़ी की मांग बहुत कम है तो उसके कोच कम किये जा सकते हैं। उन्होंने जीरो बेस समय सारणी को लेकर उन रिपोर्टों का खंडन किया जिनमें कहा गया है कि करीब 10 हजार स्टापेज खत्म किये जा रहे हैं और 500 गाड़ियां बंद की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी स्टेशन को बंद नहीं किया जाएगा और हर स्टेशन पर कोई न कोई गाड़ी अवश्य रुकेगी। किसी भी कवायद का मकसद यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधाएं एवं सहूलियत देना है, न कि उनकी सुविधाएं छीनना।
क्षमता वृद्धि से जुड़े एक सवाल पर श्री यादव ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने ग्रांड कोर्ड और ग्रांड डायग्नल (जीक्यूजीडी) मार्गों को 160 किलोमीटर प्रति घंटा की गति वाला बनाने का फैसला किया है। फिलहाल इन मार्गों पर गति सीमा 110 किलोमीटर प्रति घंटा है। गति सीमा बढ़ाने का काम दो चरणों में होना है। पहले गति सीमा 110 से 130 किलाेमीटर प्रतिघंटा की जाएगी और फिर 160 किलाेमीटर प्रति घंटा। उन्होंने कहा कि दिल्ली, मुंबई और दिल्ली हावड़ा मार्गों पर दो साल से काम चल रहा है। इस समय दोनों मार्ग 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गति के उपयुक्त हो गये हैं। अब 160 किलोमीटर प्रतिघंटा के लिए काम शुरू हो गया है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली चेन्नई, चेन्नई मुंबई और हावड़ा चेन्नई, हावड़ा मुंबई और दिल्ली गुवाहाटी मार्गों पर गति सीमा 110 से 130 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाने का काम चल रहा है। अगले साल तक इसके पूरा होने की उम्मीद है।