भूटान की शिक्षा प्रणाली मजबूत करने में भारतीय शिक्षकों का अहम योगदान

थिम्पू, भूटान में एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान भारतीय मूल के शिक्षकों के अमूल्य योगदान को सराहा गया। भूटान के पूर्व शिक्षा मंत्री ठाकुर एस. पोवडेल द्वारा लिखित ‘लोपोन्स फ्रॉम इंडिया: ग्लिम्प्स ऑफ देयर लाइफ एंड वर्क इन भूटान’ नामक पुस्तक का मंगलवार को थिम्पू के नेहरू-वांगचुक सांस्कृतिक केंद्र में लोकार्पण किया गया।

थिम्पू स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए बताया पोवडेल ने समारोह में मौजूद लोगों को पुस्तक का परिचय देते हुए भूटान में औपचारिक शिक्षा की मजबूत नींव रखने में भारतीय शिक्षकों के योगदान पर प्रकाश डाला। 20 से अधिक हृदयस्पर्शी संस्मरणों के साथ, पुस्तक में कई भारतीय शिक्षकों के अनुभवों को विशद रूप से दर्शाया गया है, जो 1960 के दशक में भूटान आने लगे थे, जिन्होंने भूटान में शिक्षा प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पुस्तक की लॉन्चिंग के बाद भूटान में वर्तमान में कार्यरत भारतीय शिक्षकों द्वारा भूटान-भारत शिक्षा साझेदारी को कायम रखते हुए अपने अनुभव साझा किए गए। समारोह में पोवडेल के अलावा भारतीय राजदूत सुधाकर दलेला, भूटान के शिक्षा और कौशल विकास मंत्री ल्योनपो यीज़ांग डी थापा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सोनम टोबगे सहित कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

भारत और भूटान के बीच दीर्घकालिक साझेदारी को याद करते हुए राजदूत दलेला ने 13वीं पंचवर्षीय योजना के माध्यम से संकाय और छात्र आदान-प्रदान, बुनियादी ढांचे के उन्नयन, शिक्षकों के प्रशिक्षण और एसटीईएम शिक्षा के लिए नई द्विपक्षीय पहलों पर प्रकाश डाला।

बता दें कि भारत अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर, विद्युत एवं जल परियोजनाओं के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भूटान की काफी मदद कर रहा है। पिछले 10 वर्षों में 10 हजार से अधिक भूटानी छात्रों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून, कृषि, मानविकी, संगीत और वाणिज्य के क्षेत्रों में भारत में शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की छात्रवृत्ति का लाभ भी उठाया है।

(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

Related Articles

Back to top button