जयपुर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के उत्पाद एवं उसकी आवाज को ग्लोबल बताते हुए कहा है कि आज लगभग हर अंतर्राष्ट्रीय मंच में भारत की मजबूत उपस्थिति नजर आ रही है।
श्री मोदी वर्चुअल समारोह में जयपुर में स्थित पत्रिका गेट का ऑनलाइन लोकार्पण के समय आज यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत के उत्पाद तो ग्लोबल हो ही रहे हैं, भारत की आवाज भी ग्लोबल हो रही है। दुनिया भारत को अब और ज्यादा ध्यान से सुनती है। आज लगभग हर अंतर्राष्ट्रीय मंच में भारत की मजबूत उपस्थिति है। ऐसे में भारतीय मीडिया को भी ग्लोबल होने की जरुरत है। यही वजह है कि लोकतंत्र मजबूत हुआ है।
उन्होंने कहा कि आज जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं, वोकल फोर लोकल की बात कर रहे है तो हमारा मीडिया इस संकल्प को एक बड़े अभियान की शक्ल दे रहा है। उन्होंने कहा कि हमे अपने इस विजन को और व्यापक करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि आज हम अपनी विरासत और सामर्थ्य को लेकर आगे बढ़ रहे है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज टेक्स्ट और ट्वीट के इस दौर में यह और ज्यादा जरुरी है कि हमारी नई पीढ़ी गंभीर ज्ञान से दूर न हो जाये। उपनिषदों का ज्ञान एवं वेदों का चिंतन केवल आध्यात्मिक और दार्शनिक आकर्षण का ही क्षेत्र नहीं है, वेद और वेदांत में सृष्टि एवं विज्ञान का भी दर्शन है। हमारे देश में लेखन का निरंतर विकास भारतीयता एवं राष्ट्रीयता के साथ हुआ है। स्वंत्रता संग्राम के दौरान लगभग हर बड़ा नाम कहीं न कहीं लेख से भी जुड़ा है।
श्री मोदी ने कहा कि किसी भी समाज में समाज का प्रबुद्ध वर्ग, समाज के लेखक या साहित्यकार पथ प्रदर्शक की तरह एवं समाज के शिक्षक होते है। स्कूल शिक्षा तो खत्म हो जाती है लेकिन हमारे सीखने की प्रक्रिया पूरी उम्र चलती है। इसमें बड़ी अह्म भूमिका पुस्तकों और लेखकों की भी है। उन्होंने कहा कि सकारात्मकता देने की सोच सिर्फ पत्रकारिता से नहीं, व्यक्तित्व के लिए भी होना जरुरी है।
उन्होंने कहा कि पत्रिका गेट राजस्थान में आने वालों के लिए आर्कषण का केन्द्र बनेगा। उन्होंने कहा कि पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चंद कुलिश ने भारतीयता के संकल्प के साथ पत्रिका को शुरु किया था। श्री कुलिश ने वेदों के ज्ञान को सरल तरीके से समाज तक पहुंचाने का प्रयास किया है जो अद्भुत एवं प्रेरक है। उन्होंने कहा कि श्री कुलिश की सोच को प्रत्रिका समूह और श्री गुलाब कोठारी निरंतर आगे बढ़ा रहे है, कोरोना के संबंध में मीडिया से जब बात की थी तब भी श्री कोठारी के शब्द ने श्री कुलिश की याद दिला दी थी। श्री कोठारी की पुस्तक में उपनिषद् का ज्ञान मिलता है।