प्रधानमंत्री के वीडियो संदेश के जरिये दिल्ली में ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के जरिये दिल्ली में ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन(आईसीजीएच-2024) के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की प्रतिबद्धता और दुनिया के हरित ऊर्जा परिदृश्य में एक व्यापक योगदान के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के उभरने की बात दोहराई।
विश्व के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “भारत एक स्वच्छ, हरित विश्व के निर्माण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हम जी20 देशों में उन देशों में से एक थे जिन्होंने ग्रीन एनर्जी पर अपने पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को समय से पहले पूरा किया है। जहां, हम मौजूदा समाधानों को मजबूत करना जारी रखे हुए हैं, वहीं, हम इनोवेटिव नजरिये को अपनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ग्रीन हाइड्रोजन ऐसी ही एक सफलता है, जिसमें रिफाइनरियों, उर्वरकों, इस्पात और भारी परिवहन जैसे सेक्टर्स को डीकार्बोनाइज करने की क्षमता है जिनका विद्युतीकरण करना मुश्किल है।”
ग्रीन हाइड्रोजन की दूसरी अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस –
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सहयोग से ग्रीन हाइड्रोजन 2024 (आईसीजीएच2024) की दूसरी अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित कर रहे हैं। भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) तथा ईवाई क्रमशः इम्प्लीमेंटेशन एवं नॉलेज पार्टनर हैं। फिक्की इंडस्ट्री पार्टनर है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए वैश्विक हब के रूप में स्थापित करना है. वर्ष 2023 में शुरू किया गया राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन इस महत्वाकांक्षा को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है. इससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, बुनियादी ढांचे का विकास होगा, इंडस्ट्री की ग्रोथ को प्रोत्साहन मिलेगा और ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में निवेश आकर्षित होगा.”
सौर ऊर्जा क्षमता में भारी बढ़ोतरी-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतत ऊर्जा के विकास में भारत के नेतृत्व पर जोर देते हुए कहा, “पिछले एक दशक में भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300% की वृद्धि हुई है और इसी अवधि में हमारी सौर ऊर्जा क्षमता में 3000% की भारी बढ़ोतरी देखी गई है।”
भारत ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर-
इस अवसर पर, केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद वेंकटेश जोशी ने रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता का विस्तार करने और ग्रीन हाइड्रोजन विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार की रणनीतिक पहलों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनने की ओर अग्रसर है। राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत को इस उभरते क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य के साथ इसकी शुरुआत की गई थी, जिससे ऊर्जा आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास दोनों सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा, “इस मिशन में न केवल 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने और 6 लाख नौकरियां पैदा करने की क्षमता है, बल्कि आयातित प्राकृतिक गैस और अमोनिया पर निर्भरता भी कम होगी, जिससे 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हमारे प्रयास 2030 तक कार्बन डाइ आक्साइड उत्सर्जन को 5 एमएमटी तक कम करने में भी योगदान देंगे, जिससे भारत वैश्विक मंच पर सतत विकास के प्रतीक के रूप में स्थापित होगा।”
अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करने में महत्वपूर्ण कदम-
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप एस. पुरी ने भारत के राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता में ग्रीन हाइड्रोजन पर बड़े स्तर पर ध्यान देना शामिल है। 2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने का हमारा लक्ष्य हमारी अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त (डिकार्बोनाइज) करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके लिए 100 अरब डॉलर के निवेश और 125 गीगावाट की नई हरित ऊर्जा क्षमता के विकास की आवश्यकता होगी। यह मिशन न केवल सालाना 50 मिलियन टन सीओ2 उत्सर्जन को कम करेगा, बल्कि इससे ईंधन के आयात में भी पर्याप्त बचत होगी। हम इस क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट, हाइड्रोजन हब और अनुसंधान एवं विकास जैसी पहलों को लागू कर रहे हैं, जिन्हें व्यापक ढांचे द्वारा समर्थन दिया गया है। इस मिशन की सफलता केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ इंडस्ट्री पार्टनर्स के साथ मिलकर की जाने वाली कोशिश पर निर्भर करेगी।”
ग्रीन हाइड्रोजन उद्देश्यों पर जोर-
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में सचिव भूपिंदर एस. भल्ला ने भारत की रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी उपलब्धियों और भविष्य के लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने जीरो सीओ2 उत्सर्जन के साथ स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन की भूमिका और कई क्षेत्रों में इसके विविध अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला। भल्ला ने प्रधानमंत्री की पंचामृत योजना के अनुरूप भारत के महत्वाकांक्षी ग्रीन हाइड्रोजन उद्देश्यों पर भी जोर दिया। इसमें 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करने और 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन तक पहुंचने का लक्ष्य शामिल है।
आवंटित बजट पर भी चर्चा-
भल्ला ने परिवहन और शिपिंग क्षेत्रों में पायलट परियोजनाओं, हरित हाइड्रोजन हब के निर्माण, अनुसंधान और विकास, कौशल विकास के साथ-साथ भंडारण और परिवहन जैसे क्षेत्रों के लिए आवंटित बजट पर भी चर्चा की। भारत में हरित हाइड्रोजन की मांग में खासी बढ़ोतरी होने का अनुमान है, जिसे 2050 तक 29 एमएमटी प्रति वर्ष तक पहुंचाने की योजना है। उन्होंने एसआईजीएचटी (ग्रीन हाइड्रोजन अपनाने के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप) कार्यक्रम और मानकों के बारे में भी बात की, जिसमें बताया गया कि 152 मानकों की सिफारिश की गई है। इन मानकों में से 81 प्रकाशित हो चुके हैं।”
नए अनुसंधान और तकनीकी विकास-
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय के. सूद ने ग्रीन हाइड्रोजन तकनीक को आगे बढ़ाने में वैज्ञानिक अनुसंधान की भूमिका पर जानकारी साझा की। उन्होंने जोर देकर कहा, “ग्रीन हाइड्रोजन को किफायती और बड़े स्तर पर लागू करने लायक बनाने के लिए नए अनुसंधान और तकनीकी विकास महत्वपूर्ण है। हमें चुनौतियों से पार पाने और ग्रीन हाइड्रोजन की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करना जारी रखना चाहिए।
वीडियो प्रस्तुति भी शामिल-
इस सत्र में “ग्रीन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था की ओर भारत की यात्रा” (इंडियाज जरनी टुवार्ड्स ए ग्रीन हाइड्रोजन इकोनॉमी) शीर्षक से एक वीडियो प्रस्तुति भी शामिल की गई, जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में भारत की प्रगति और भविष्य की आकांक्षाओं को दर्शाया गया।
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन-
उद्घाटन सत्र का समापन सीएसआईआर के महानिदेशक और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) की सचिव डॉ. एन. कलैसेल्वी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। डॉ. कलैसेल्वी ने प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया और ग्रीन हाइड्रोजन में लीडरशिप के लिए भारत के सफर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत ग्रीन हाइड्रोजन के परिवर्तनकारी युग में सबसे आगे है। पर्याप्त मात्रा में नवीकरणीय संसाधनों और राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन जैसी महत्वाकांक्षी पहलों के साथ, हमारा देश वैश्विक स्तर पर नेतृत्व करने के लिए अच्छी स्थिति में है।”
रिपोर्टर-आभा यादव