लखनऊ, खुद को प्रधान सेवक कहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या अब मसीहा बनने की राह पर चल पड़े हैं। ये सवाल अब हर उस भारतीय के दिमाग मे गूंज रहा है जिसने हाल ही मे यूपी विधानसभा चुनाव मे प्रधानमंत्री मोदी के बदलते भाषणों पर गौर किया है।
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरदोई में एक जनसभा में सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो का जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वीडियो में गरीब बुजुर्ग मां के पास एक लोग इंटरव्यू के लिये माइक लेकर पहुंचे। उसने गरीब मां से पूछा कि आपके यहां चुनाव कब है? गरीब माता ने चुनाव की तारीख बताई। उस मां ने साथ ही यह भी कहा कि हमने नमक खाया है हम धोखा नहीं देंगे। इंटरव्यू करने वाले ने पूछा कि किसका नमक खाया है? मां ने जवाब दिया, ‘मोदी का नमक खाया है। मोदी ने हमें राशन दिया है। हमें मुफ्त राशन मिल रहा है। हम भाजपा को वोट देंगे’।
प्रधानमंत्री का ये वाकया सुनकर लगा कि खुद को प्रधान सेवक कहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब मसीहा बनने की राह पर चल पड़े हैं। कोरोना के कारण बदहाल हुई जनता को मुफ्त राशन देकर वह उसपर एहसान कर रहें हैं। वह जनता को भिखारी और गुलाम की तरह ट्रीट कर रहें हैं। उनमें दाता का भाव उत्पन्न हो गया है। जबकि उन्हे यह नहीं सोचना चाहिए कि वह कोई दान दे रहे हैं। कल्याणकारी राष्ट्र होने के नाते ऐसा करना उनका परम कर्तव्य है।
प्रधानमंत्री की यह बात सुनकर मुझे हिटलर की एक घटना याद आ गई। हिटलर एक बार अपने साथ संसद में एक मुर्गा लेकर गया और सबके सामने उसका एक-एक पंख नोचने लगा !
मुर्गा दर्द से बिलबिलाता रहा मगर, एक-एक कर के हिटलर ने सारे पंख नोच दिये और फिर मुर्गे को ज़मीन पर फेंक दिया !
उसके बाद जेब से कुछ दाने निकालकर मुर्गे की तरफ फेंक दिया और धीरे-धीरे चलने लगा तो मुर्गा भी दाना खाता हुआ हिटलर के पीछे चलने लगा !
हिटलर बराबर दाना फेंकता गया और मुर्गा बराबर दाना खाता हुआ उसके पीछे चलता रहा, आखिरकार वो मुर्गा हिटलर के पैरों में आ खड़ा हुआ !
हिटलर ने स्पीकर की तरफ मुस्कुराकर देखा और एक ऐतिहासिक जुमला बोला-
“लोकतांत्रिक देशों की जनता इस मुर्गे की तरह होती है,
उन के नेता जनता का पहले सब कुछ लूट कर उन्हें अपाहिज कर देते हैं और बाद में उन्हें थोड़ी सी खुराक देकर उनका मसीहा बन जाते हैं”
हकीकत ये है कि मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण इस देश की आम जनता की कमर टूटनी शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा अपने कार्पोरेट मित्रों को खुश करने के कारण देश मे गरीबी , भुखमरी, बेरोजगारी बढ़ी है। अब गरीबों को सीढ़ी बनाकर किसी तरह चुनाव मे सत्ता हासिल करने की साजिश रची गई है। इसलिये उन्हे नौकरी रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने के बजाय, मुफ्त आधा पेट अनाज देकर उन्हे मजबूर, गुलाम और बेबस बनाया जाये ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में खुद मसीहा के तौर पर दिखाई देने की लालसा उभर रही है। और अब ये जताने की कोशिश की जारही है कि भुखमरी के दौर मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मसीहा बनकर आपकी मदद कर रहें हैं। और अगर आप मोदी को वोट नही देते हैं तो आप धोखा कर रहे हैं। जबकि हकीकत ये है कि आप मात्र गरीब जनता का वोट लेने के लिये ये सब कर हें हैं।
अब इस राजनीति को समझना होगा। यह जानना होगा कि किस तरह पूंजीपतियों के साथ मिलकर महंगाई को लगातार बढ़ाते रहने की योजना बनाई गई। ताकि इस देश का गरीब अपने पेट की चिंता में , रोजी रोटी के जुगाड़ करने में ही अपनी जिंदगी गुजार दे और सरकार की ओर आंख उठाने की भी हिम्मत न हो। यही कारण है कि कुछ सालों मे विलासिता की चीजों के दामों में तो गिरावट आई लेकिन वहीं गरीब आदमी की बुनियादी जरूरतों रोटी , कपड़ा और मकान आदि के दामों मे बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसी कोरोना काल मे प्रधानमंत्री के मित्रों की इंनकम तो कई गुना बढ़ गई, लेकिन आम आदमी की इनकम घटी है, बेरोजगारी बढ़ी है, छोटे कारोबार और काम धंधे बंद हुयें हैं। उसके ऊपर महंगाई की चौतरफा मार ने लोगों को आत्महत्या करने के लिये मजबूर कर दिया है।
अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव आते ही सरकार द्वारा मुफ्त अनाज योजना पर खासा जोर दिया जा रहा है। मुफ्त अनाज गरीब आदमी तक पहुंचाने से ज्यादा ध्यान इसके प्रचार पर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं को मसीहा के तौर पर पेश कर रहें हैं। उन्हे यह सुनने मे मजा आ रहा है कि गरीब कह रहा है कि वह मोदी का नमक खा रहा है। मोदी की रोटी खा रहा है। अब लगने लगा है कि कभी खुद को प्रधान सेवक कहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब मसीहा बनने की राह पर चल पड़े हैं?