विकासशील देश होते हुए भी भारत ने 78 देशों में शुरू की विकास परियोजनाएं

नई दिल्ली, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि विभिन्न देशों का दूसरे देशों के साथ व्यवहार करते समय खुलेआम लेन-देन करना एक फैशन बन गया है, मगर यह भारत ही है, जिसने विकासशील होते हुए भी 78 देशों में 600 से अधिक विकास परियोजनाएं शुरू की हैं।
जयशंकर ने यह टिप्पणी गुजरात में वडोदरा के पारुल विश्वविद्यालय के विदेशी स्नातकों के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए की। इसके साथ ही विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत कभी भी ‘परमाणु ब्लैकमेल’ के आगे नहीं झुकेगा। उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रीय हितों में जो भी निर्णय लिए जाने हैं, वे लिए जा चुके हैं तथा भविष्य में भी लिए जाते रहेंगे। जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित और पोषित करने में लिप्त हैं, उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी ही चाहिए।
उन्होंने कहा हाल ही में हमनें जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को तबाह करने की कोशिश और धार्मिक कलह के बीज बोने की बुरी इच्छा देखी। हत्याओं की बर्बरता के लिए एक अनुकरणीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी, जो दी गई। यह जरूरी है कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं, उसका पोषण करते हैं और अपने उद्देश्यों के लिए उसका उपयोग करते हैं, वह इसकी भारी कीमत चुकाएं। जिस तरह हमने पहलगाम हमले का जवाब दिया, यह देखकर भी खुशी हुई कि दूसरे देशों ने भी आतंकवाद के खिलाफ खुद की रक्षा करने के हमारे अधिकार को समझा।
विदेश मंत्रालय के अनुसार विभिन्न देशों के केवल स्वार्थ पर टिके आपसी संबंधों और भारत के निस्वार्थ भाव के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा कुछ देशों में दूसरे देशों के साथ व्यवहार करते समय खुलेआम लेन-देन एक फैशन सा बन चुका है। हमारे संसाधन सीमित हो सकते हैं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि भारत का दिल हमेशा बड़ा रहा है और यही कारण है कि अभी भी एक विकासशील देश होते हुए भी हमने विभिन्न महाद्वीपों के 78 देशों में 600 से अधिक विकास परियोजनाएं शुरू की हैं। इसी कारण से, जब हम अपने स्वयं की देखभाल कर रहे थे, तब भी हमने कोविड महामारी के दौरान 99 देशों को टीके और 150 को दवाएं उपलब्ध कराईं।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)