झांसी , पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार वृक्षारोपण महाकुंभ योजना 2020 के तहत झांसी जिले में 49 लाख 78 हजार 820 वृक्ष वन विभाग के साथ साथ अन्य विभागों को लगाने है और इसके लिए तैयारियां जोरो पर चल रही हैं।
जिला वनाधिकारी विष्णुकांत मिश्रा ने बताया कि सरकार के प्रदेश भर में 25 करोड पौधारोपण की योजना के तहत झांसी को मिले लक्ष्य 49 लाख 78 हजार 820 में से 18 लाख 95 हजार 700 वृक्षों का रोपण वन विभाग द्वारा किया जाना है और अन्य विभागों को 30 लाख 83 हजार 120 वृक्षों का रोपण करना है। इस बार का यह अभियान अब तक का सबसे बड़ा अभियान है जिसमें वन विभाग के अलावा 26 से 27 अन्य विभागों ,गैर सरकारी संगठनों, किसानों और लोगों को जोड़ा गया है। वन विभाग ने इसके लिए पौधे तैयार कर लिए गये हैं। हमारी नर्सरी में पर्याप्त मात्रा में पौधे हैं इसलिए किसी प्राइवेट नर्सरी से इस अभियान के लिए पौधे लेने की कोई जरूरत नहीं है। वन विभाग के अलावा अन्य सभी के लिए अभियान के तहत जितने पौधे लगाये जाने हैं उतने हमारे पास उपलब्ध हैं।
बुंदेलखंड की जलवायु के हिसाब से यहां सागौन,शीशम, आंवला, चिलबिल, अर्जुन, बहेड़ा ,आम, नींबू, अमरूद को विशेष रूप से सहजन के पौधों का रोपण किया जायेगा। उन्होंने बताया कि वन विभाग अपनी चिंहित जमीन पर जाे पौधारोपण करता है वहां उसके संरक्षण का भी पूरा इंतजाम किया जाता है जबकि अन्य विभाग या लोगों को जो पौधे मुहैया कराये जाते हैं उनका सरंक्षण उन्हीं की जिम्मेदारी होती है। बुंदेलखंड एक सूखाक्षेत्र है और यहां पानी की कमी विशेषरूप से गर्मियों में हो जाती है लेकिन इसके बावजूद इस इलाके में जो भी हरियाली दिखायी दे रही है वह इस बात का प्रमाण है कि पेड़ लगाने का काम लगातार किया जा रहा है।
इस बार जिले में वन विभाग की जमीन पर 97 स्थानों पर वृक्षारोपण किया जायेगा। इन स्थानों पर गड्ढे खाेदने ,बोना नाली बनाने,बीजवान और सुरक्षा खाई बनाने का काम पूरा हो गया है। एक चिंहित स्थान पर 200 बोना नाली बनायी जाती हैं। इसकी लंबाई तीन मीटर, चौड़ाई ़ 45 मीटर और गहराई ़ 06 मीटर होती है। यह बोना नाली वर्षाजल के संचय के काम में आती है और इससे निकाली गयी मिट्टी पर बीज बोये जाते हैं इस नाली की लंबाई तीन मीटर होती है और एक नाली पर एक एक मीटर की दूरी पर तीन पौधे लगाये जाते हैं इसके अलावा 500 पौधे गड्ढों में लगाये जाते हैं।
श्री मिश्रा ने कहा कि पौधों के जीवित रहने की जहां तक बात है तो यह हर साल के हिसाब से किया जाता है जैसे अगर तीन साल बाद 60 से 70 प्रतिशत भी पौधे बचते हैं और 10 साल बाद तो 20 से 25 प्रतिशत पौधे भी वृक्ष का रूप ले लेते हैं तो वृक्षारोपण सफल माना जाता है। पिछले साल किये गये वृक्षारोपण के लिए थर्ड पार्टी मॉनीटरिंग करायी गयी थी। यह मॉनीटरिंग एसएफआई ने चार से पांच महीने पहले करायी थी जिसमें प्रदेश स्तर पर वन विभाग द्वारा लगाये गये पौधों में से 95 प्रतिशत पौधों के बचे रहने की बात कही थी। अन्य विभागों के तहत भी कई स्थानों पर बचे पौधों का प्रतिशत काफी अच्छा बताया गया। वन विभाग के तहत जो पौधारोपण किया जाता है उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास किये जाते हैं लेकिन अगर किसी चिंहित स्थान पर पौधे बच नहीं पाते तो मौसमी दशाओं को भी ध्यान में रखकर इसके कारण की जांच की जाती है और अगर कर्मचारियों की लापरवाही सामने आती है तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाती है।