भारत जन ज्ञान विज्ञान समिति, के तत्वावधान में संत शिरोमणि रविदास प्रेक्षागृह इंदिरानगर में कबीर जयंती का आयोजन

लखनऊ, भारत जन ज्ञान विज्ञान समिति, लखनऊ के तत्वावधान में संत शिरोमणि रविदास प्रेक्षागृह इंदिरानगर लखनऊ में समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व सचिव भारत सरकार श्री हरीश चन्द्र आईं०ए०एस० (से ०नि०) की अध्यक्षता में कबीर जयंती का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि श्री वेंकटेश्वर लू आई०ए०एस० अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण विभाग उ०प्र० रहे।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री हरीश चन्द्र आईं०ए०एस० (से०नि०) ने कहा कि भक्तिकालीन संतों में महान संत सदगुरु कबीर साहेब ने बिना लाग- लपेट तथा डर – भय के अपनी सधुक्कड़ी भाषा में समाज में व्याप्त घोर पाखंड, ढोंग, अंधविश्वास, जाति-पाति, भेदभाव व सांप्रदायिकता पर अपने दोहा, चौपाई एवं समाजोपयोगी विचारों के माध्यम से करारा प्रहार किया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सदगुरु कबीर साहब के विचारों की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। हम उनके विचारों को अपनाकर ऐसे समाज के निर्माण में अपना योगदान दें जिसमें पाखंड, ढोंग, अंधविश्वास, जाति- पाति,भेदभाव और सांप्रदायिकता का कोई स्थान न रहे।
उन्होंने बताया कि कबीर दास जी कहते हैं कि यदि किसी की बुराई नजर आए तो यह मानना चाहिए कि अभी हमारा अंत: करण निर्मल नहीं है। ऐसी स्थिति में अपनी इस कमजोरी को दूर करने के लिए प्रार्थना एवं प्रयास करना चाहिए।
बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजऊं आपना मुझसा बुरा न कोय।
जबान संयम और बचनों में मधुरता का उल्लेख करते हुए संत कबीर दास जी ने कहा है कि —
बानी ऐसी बोलिए, मन का आप खोय।
औरहूं को शीतल करें आपहूं शीतल हो।
उन्होंने कबीर दास जी के दोहों का उल्लेख करते हुए कहा कि —
पोथी पढ़ी – पढ़ी जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।
कबीर दास जी ने हिंदू और मुसलमान दोनों की वास्तविक स्थिति का उल्लेख करते हुए अपने दोहों में उल्लेख किया कि —
जो तू बाभन बभनी जाया, आन राह होई हुई क्यूं नहीं आया।
जो तू तुरुक तुरुकनी जाया, अंदर खतना क्यूं न कराया।
उन्होंने समकालीन संतों की रचनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि–
ब्राह्मण मत पूजिए, जो होवे गुणहीन। पूजहि चरण चांडाल के जो हो ज्ञान प्रवीण
उन्होंने कहा है कि—
कागा काको धन हरे कोयल काको देत। अपने मीठे बचन ते जग अपनो कर लेत।
उन्होंने कबीर दास जी की आध्यात्मिक ऊंचाई का उल्लेख करते हुए उनके इस दोहे को दोहराया कि —
जाप मिटे ,अजपा मिटे, अनहद हूं मिट जाय।
सूरत समानी शब्द में ताहि काल न खाय।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री वेंकटेश्वर लू ने कहा कि देशकाल व परिस्थितियों के अनुसार महापुरुषों के ज्ञान को व्यवहार में उपयोग किया जाए ताकि बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय की दिशा में कार्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि कबीर दास जी के विचारों से शिक्षा लेकर हमें समाज में प्रेम और सद्भाव बढ़ाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। महापुरुष अपने ज्ञान के माध्यम से तत्कालीन समय की कमियों पर बेहिचक अपनी बात प्रस्तुत करते हैं ताकि वह कमियां दूर हो सके और आपस में प्रेम सद्भाव और मेल मिलाप बढ़ सके। उन्होंने कबीर दास के विचारों के निष्कर्ष स्वरूप अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दूसरों का भला करने के प्रयास से ही अपना भला होगा।
कार्यक्रम की शुरुआत में सद्गुरु कबीर साहब के चित्र एवं तथागत बुद्ध की मूर्ति पर पुष्पांजलि तथा दीप प्रज्वलन किया गया। मुख्य अतिथि ने पुस्तकालय बाबा साहब भीमराव अंबेडकर प्रलेखीकरण एवं शोध संस्थान का भ्रमण भी किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों का स्वागत तथा मंच का संचालन डॉक्टर सुरेश उजाला ने किया तथा भारत जन जान विज्ञान समिति के सचिव, श्री राजेंद्र सिंह यादव ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर श्री बसंत लाल, राम शब्द जायसवाल, जवाहरलाल, वीरेंद्र प्रसाद,जागेश्वर सिंह तथा नरेंद्र सिंह आदि लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।