कानपुर: स्मार्ट बनिए, सूखे और गीले कूड़े में अंतर करना जानिए

लखनऊ, अब आप स्मार्ट बनिए, सूखेऔर गीले कूड़े में अंतर करना जानिए।  शहर में स्वच्छता जागरूकता अभियान “गंदगी से आजादी” चल रहा है। जिसमें जनसामान्य को घरों से निकलने वाले कचरे के बारे में जागरूक किया जा रहा है।

इसी क्रम में, आज स्वच्छ भारत मिशन, नगरीय के द्वारा, स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए  नगर निगम कानपुर के वार्ड रतनलाल नगर वार्ड नंबर 34 में  “गंदगी से आजादी” अभियान के तहत लोक कला के माध्यम से जानकारी दी गई । लोक कलाकारों ने बताया  कि सूखे और गिले कूड़े काे अलग-अलग इकट्ठा करना जरूरी है। एक साथ सूखा और गिला कूड़ा इकट्ठा हाेने पर कूड़े का ठीक से निस्तारण नहीं हाे पाता है। स्मार्ट बनिए और दोनों तरह के कूड़े में अंतर करना सीखिए।

स्वच्छता जागरूकता अभियान “गंदगी से आजादी” मे बताया गया कि कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में ही डालें। सूखे और गीले कूड़े को अलग-अलग इकट्ठा करना जरूरी है। इसलिये गीले और सूखे कूड़े-कचरे को अलग-अलग कूड़ेदान में ही डालें। गीला कचरा रखने के लिए हरा कूड़ेदान और सूखे कूड़ा रखने के लिए नीले रंग का कूड़ेदान प्रयोग करें।

उन्होने आगे बताया कि प्लास्टिक, कांच, पन्नी , प्लास्टिक कवर बाेतलें, चिप्स टॉफी के रेपर , दूध दही के पैकेट और पॉलिथीन पैकेट, गत्ते के बॉक्स, कागज के बर्तन , पेपर कप और प्लेट आदि। धातु के कैन , रबर, थर्माकॉल, प्रसाधन सामग्रियां और बाल आदि  सूखे कूड़े में आता है । जिसे हम नीले डस्टबिन में डालतें हैं।

वहीं, रसोई का कचरा जैसे बचा हुआ भोजन, सब्जी, फल के छिलके, उबली चाय की पत्ती, चाय कॉफी के बैग, अंडे के छिलके, चिकन अवशेष हड्डियां, सडे  फल- सब्जियां, गंदा टिशू पेपर,  पत्ते के प्लेट्स, पूजा सामग्री ,फूल राख आदि गीले कूड़े में आता है। जिसे हम नीले डस्टबिन में डालतें हैं।

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