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जम्मू-कश्मीर इस दिन दो केन्द्र शासित प्रदेशाें मे होगा विभाजित, ये होंगी खास बातें

नयी दिल्ली, जम्मू.कश्मीर राज्य  दो केन्द्र शासित प्रदेशाें जम्मू.कश्मीर और लद्दाख में विभाजित हो जायेगा। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शुक्रवार को जम्मू.कश्मीर पुनर्गठन अधिनियमए 2019 को अपनी स्वीकृति दे दी। अधिनियम में राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू.कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने का प्रावधान है।

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जम्मू.कश्मीर में विधानसभा होगी जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। इसके तुरंत बाद गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर विभाजन की तिथि 31 अक्टूबर तय कर दी। अधिनियम के अनुसार, नवगठित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में करगिल और लेह जिलों को शामिल किया जायेगा जबकि मौजूदा राज्य के अन्य 12 जिले केंद्र शासित प्रदेश जम्मू.कश्मीर का हिस्सा बनेंगे। जम्मू.कश्मीर राज्य में इस समय लोकसभा की छह सीटें हैं।

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विभाजन के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू.कश्मीर में पाँच और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में एक लोकसभा सीट होगी। दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में अब राज्यपाल की जगह उप राज्यपाल होंगे। केंद्र शासित जम्मू.कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल पाँच वर्ष का होगा। मौजूदा समय में वहाँ की विधानसभा का कार्यकाल छह साल का होता है। नवगठित केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में 107 सदस्यों का चुनाव मतदान के जरिये होगा। इनमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की 24 सीटें शामिल हैं।

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जम्मू.कश्मीर की मौजूदा विधानसभा में भी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए 24 सीटें रखी गयी थीं। अधिनियम में कहा गया है कि जब तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस नहीं पा लिया जाता और वहाँ के लोग खुद अपना प्रतिनिधि नहीं चुनते जम्मू.कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में 24 सीटें खाली रहेंगी और विधानसभा की कुल सदस्य संख्या के उल्लेख के समय उनकी गिनती नहीं की जायेगी। इस प्रकार नया केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद 83 सीटों के लिए चुनाव होगा जिनमें छह अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होंगी।

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उप राज्यपाल को यदि यह लगता है कि विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है तो उन्हें दो महिला सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार होगा। मौजूदा जम्मू.कश्मीर राज्य की विधान परिषद् को समाप्त कर दिया जायेगा। अधिसूचना में कहा गया है कि जम्मू.कश्मीर उच्च न्यायालय दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के संयुक्त उच्च न्यायालय के रूप में काम करेगा।

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उल्लेखनीय है कि संसद ने जम्मू.कश्मीर के विशेष दर्जे से संबंधित अनुच्छेद 370 को हटाने वाले संकल्प और राज्य को दो हिस्सों में बांटने में वाले विधेयक को इसी सप्ताह पारित किया था। इसके बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने इन पर हस्ताक्षर किये थे। इसके साथ ही जम्मू.कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया था। राष्ट्रपति ने जम्मू.कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35 ए को इससे पहले ही हटा दिया था।

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