सूअरों में क्लासिकल स्वाइन फीवर जांच के लिए तैयार किया किट

बरेली, बरेली भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान सूअरों में क्लासिकल स्वाइन फीवर वायरस की जांच करने के लिए सी-एलाइजा किट फॉर एंटी बॉडी तैयार की है। आइवीआरआइ के निदेशक और कुलपति डा आर के सिंह न बताया कि सूकर में वैक्सीन लगाने के बाद इस किट से जांच कर आसानी से पता लग सकेगा कि दवा कितनी उपयोगी है। फिलहाल आइवीआरआइ के जैविकी मानकीकरण विभाग के वैज्ञानिकों ने इस किट को पेटेंट कराने की कवायद शुरू कर दी है।

उन्होंने बताया कि क्लासिकल स्वाइन फीवर वायरस से पीड़ित सूअर का शरीर काफी गरम हो जाता है। वह खाना-पीना छोड़ देता है। शरीर में लाल रंग के बड़े-बड़े दाने भी निकल जाते हैं। जिससे उसकी मौत हो जाती है। अभी तक इसकी रोकथाम के लिए आइवीआरआइ में वैक्सीन तो थी, लेकिन उसकी क्षमता बहुत कम थी। ऐसे में जैविकी मानकीकरण विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ प्रणव धर ने अपनी टीम के साथ मिलकर अधिक क्षमता वाली वैक्सीन भी तैयार की। उसके बाद इसे परखने के लिए सी-एलाइजा किट फॉर एंटी बॉडी भी बना ली।

डॉ सिंह के अनुसार अभी तक वैक्सीन की चार हजार डोज बनाने के लिए 80 खरगोश की बलि देनी पड़ती थी। अब ऐसा नहीं कराना होगा। जो लाइव अटीन्यूटेड क्लासिकल स्वाइन फीवर सेल कल्चर वैक्सीन बनाई है, उसमें खरगोश को मारने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इस वैक्सीन की लांचिंग गत तीन फरवरी को हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि पहले यह किट हमारे संस्थान में नहीं थी, इसे बाहर से मंगवाना पड़ता था। तीन साल के रिसर्च के बाद अब इसे बना लिया गया है। सूकर में वैक्सीन लगने के 28 दिन बाद पालकों को उसके खून और सीरम को लेकर आइवीआरआइ आना होगा। यहां इस किट की मदद से जांच की जाएगी कि वैक्सीन कितना असर कर रही है। इस किट से एक साल में 480 सैम्पल लिए जा सकेंगे। किट को पेटेंट कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है, इसके बाद इसे रिलीज किया जाएगा।

Related Articles

Back to top button