देहरादून, यदि आप जरूर हरिद्वार में हो रहे कुंभ मे जारहें हैं तो जाने से पहले जानें ये जरूरी बातें अवश्य जान लें. कुभ के आयोजन की सरकार ने जोरदार तैयारी की है.
हरिद्वार में आज यानि 1 अप्रैल से कुंभ का शुभारंभ हो रहा है. कोरोना महामारी के चलते कुंभ में प्रवेश के लिए अब सावधानी बरती जा रही है. 31 मार्च की रात से बिना कोविड निगेटिव रिपोर्ट के कुंभ क्षेत्र में प्रवेश वर्जित कर दिया गया है. साथ ही, एंट्री के पहले अब हर श्रद्धालुओं को पहले से ही रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा.
आज रात से राज्य के सभी बॉर्डर पर रैंडम चेकिंग शुरू हो गई है . रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और बॉर्डर चेक पोस्ट पर भी चेकिंग हो रही है.
प्रदेश सरकार ने कुंभ मेला अवधि 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तय की है. 31 मार्च की रात 12.00 बजे से मेले में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं को सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करना होगा. लोगों को मेला क्षेत्र में मास्क लगाकर रखना होगा. साथ ही, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सैनिटाइजेशन समेत अन्य कोविड प्रोटोकॉल्स का भी ख्याल रखना होगा.
कोविड-19 से संबंधित सावधानियों और आवश्यक दिशा-निदेर्शों के बारे में उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी पत्र के अनुसार सभी श्रद्धालुओं को राज्य सरकार के पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करना होगा और अपने मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना होगा. जारी पत्र के अनुसार 65 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों, गंभीर बीमारी से ग्रस्त, गर्भवती महिलाओं और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को कुंभ मेले में नहीं आने की सलाह दी गयी है.
दरअसल, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को निर्देश दिया कि 1 अप्रैल से हरिद्वार कुंभ में उन्हीं लोगों को एंट्री दी जाएगी, जो 72 घंटे पहले की कोरोना आरटीपीसीआर टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट दिखाएंगे. जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, अगर वे अपना सर्टिफिकेट दिखाते हैं तो उन्हें छूट मिल सकती है. यह फैसला सिर्फ बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के लिए ही नहीं बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी लागू होगा। उन्हें भी अपनी कोविड की निगेटिव रिपोर्ट साथ लानी होगी, उसके बाद ही मेला क्षेत्र में प्रवेश दिया जाएगा.
कुंभ के शाही स्नान-
1. पहला शाही स्नान- महाकुंभ का पहला शाही स्नान हो चुका है। 11 मार्च 2021, दिन गुरुवार, त्योहार- महाशिवरात्रि। शास्त्रों के अनुसार, पृथ्वी पर गंगा की उपस्थिति का श्रेय भगवान शिव को जाता है। यही कारण है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है.
2. दूसरा शाही स्नान- 12 अप्रैल 2021, दिन सोमवार, त्योहार- सोमवती अमावस्या। सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा जल का कारक है, जल की प्राप्ति और सोमवती को अमावस्या पर अमृत माना जाता है.
3. तीसरा शाही स्नान- 14 अप्रैल 2021, दिन बुधवार, त्योहार- मेष संक्रांति और बैसाखी। इस शुभ दिन पर, नदियों का पानी अमृत में बदल जाता है. ज्योतिष के अनुसार, इस दिन पवित्र गंगा में एक पवित्र डुबकी कई जीवन के पापों को नष्ट कर सकती है.
4. चौथा शाही स्नान- 27 अप्रैल 2021, दिन मंगलवार, त्योहार- चैत्र पूर्णिमा। पवित्र गंगा में स्नान करने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है और इसे ‘अमृत योग’ के दिन के रूप में जाना जाता है.