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जानिए क्या है यौन शोषण, क्या कहती है विशाखा गाइलाइंस

नई दिल्ली,   MeToo कैंपेन के तहत महिलाओं ने सोशल मीडिया पर खुलकर बोलना शुरू किया है. ऐसे मामलों में कई घटनाएं कार्यस्थल पर हुई हैं. लेकिन क्या आप जानती हैं वर्क प्लेस पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर एक कानून भी है, जिसे विशाखा गाइडलाइंस के नाम से जाना जाता है. 

यौन शोषण क्या होता है? क्या किसी महिला को छूना, घूरना या गंदे मैसेज भेजना भी यौन शोषण का हिस्सा हो सकते हैं? ऑफिस में इस तरह के व्यवहार को गलत माना जाता है? इन सभी सवालों के जवाब हैं ‘हां और हां’. बीते कुछ दिनों से हमारे देश में अधिकतर लोगों के दिमाग में ये बातें और सवाल घूम रहे हैं. अधिकतर पुरुष इस बात से चिंतित हैं कि ऑफिस में उनके किस तरह के व्यवहार को गलत और यौन उत्पीड़न की नजर से देखा जाएगा. 

हमारे संविधान में कामकाजी महिलाओं के साथ ऑफिस में होने वाले दुर्व्यवहार के बारे में कोई नियम-कायदे नही बनाए गए हैं. इसीलिए इसके लिए एक अन्य नियमावली की जरूरत पड़ी. इस नियमावली का नाम है ‘विशाखा गाइडलाइन्स’. इसके बारे में और इसके अनुसार जुर्म साबित होने पर क्या सजा होगी, इसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे. पहले आप अपने व्यवहार के बारे में सीख और समझ लीजिए. स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, इन सभी जगहों पर, जहां महिलाएं और पुरुष साथ काम करते हैं, यह समझने की जरूरत है कि किस तरह से मर्यादाएं बनाई जाएं और कैसे उनका पालन किया जाए. सबसे पहले समझिए कि कौन सा व्यवहार बिलकुल गलत है.

बहुत बार पुरुष ऑफिस में महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार कर देते हैं जो महिलाओं को बहुत असहज कर देता है और कई बार तो नौकरी बदलने या छोड़ने पर मजबूर कर देता है. कई बार यह हरकतें जानबूझ कर की जाती हैं और कई बार गैर-इरादतन भी होती हैं. इसीलिए पुरुषों को अपने व्यवहार के बारे में सीखने और समझने की जरूरत है. आपकी ये हरकतें शारीरिक, जुबानी या इशारों के रूप में होती हैं. 

जैसा कि सभी समझदार लोगों को नाम से ही समझ आएगा, यहां छूना, हाथ पकड़ना, गले लगाना, चुटकी काटना, जबरदस्ती चूमने की कोशिशें करना, बार-बार टकराते हुए जाना या किसी महिला का रास्ता रोकना इसमें शामिल होते हैं. यहां यह साफ कर दिया जाना चाहिए कि ये सभी मापदंड उस महिला से आपके रिश्तों पर निर्भर करते हैं. कई पुरुषों की यह दलीलें हैं कि उन्होंने तो कभी महिला को हाथ नहीं लगाया, इसलिए उनका अभद्र रवैया यौन शोषण में नहीं शामिल होगा. लेकिन यह गलत है. अगर आप किसी महिला की शारीरिक बनावट पर कमेंट करते हैं, उसके साथ सेक्शुअल बातें करने की कोशिश करते हैं, डबल मीनिंग जोक्स सुनाते हैं जिन्हें लेकर वो सहज नहीं है, महिला की उपस्थिति में सेक्सुअल बातें करते हैं जो उसे परेशान करता है, उसे धमकाते हैं, स्त्रीसूचक गालियों का प्रयोग करते हैं तो ये सब यौन शोषण में शामिल होगा. यहां भी वहीं बात लागू होती है, जोक सुनाने और सेक्शुअल बातें करने के मामले में महिला से आपकी दोस्ती कैसे है.

अब वो हरकतें जहां ना छूना लागू होना हैं ना ही कुछ बोलना. ये होते हैं गंदे इशारे, सेक्शुअल पोजीशन बनाते हुए इशारे करना, अपने कंप्यूटर या फ़ोन पर सेक्शुअल कंटेंट दिखाना, गंदे मैसेज भेजना, उनके बार-बार मना करने पर भी व्हाट्सऐप या मैसेज में उनसे उनकी तस्वीरें मांगना, सीटी बजाता और घूरना भी आपको यौन उत्पीड़न के आरोपियों की लिस्ट में शामिल कर सकता है. हो सकता है आपका इरादा उन्हें परेशान करना ना हो लेकिन ऐसी हरकतों से महिलाएं असहज हो जाएंगी और उनके लिए वहां काम करना मुश्किल हो जाएगा.

ये सभी नियम  साल 1993 में मानवाधिकार कानून के अंतर्गत ये विशाखा गाइडलाइन्स बनाई गईं. इसके तहत दफ्तर में किसी भी महिला के सुरक्षित रहने की जिम्मेदारी वहां के प्रबंधन की होती है. किसी भी तरह के गैर-जिम्मेदाराना रवैये के लिए सबसे पहले उस महिला और संस्था के एम्प्लायर को दोषी माना जाता है.