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गंगा एक्सप्रेसवे के लिये भूमि अधिग्रहण के निर्देश, ऐसा होगा स्वरूप

लखनऊ , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को शुरू करने के निर्देश दिये और कहा कि एक्सप्रेस-वे को भविष्य में वाराणसी में मल्टी मोडल टर्मिनल से जोड़ने की सम्भावनाओं का अध्ययन कर जरूरी कार्यवाही किये जाने की जरूरत है।

यूपीडा द्वारा गंगा एक्सप्रेस-वे के सम्बन्ध में दिए गए प्रस्तुतीकरण का अवलोकन के दौरान श्री योगी ने कहा कि एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए अनुभवी और कुशल प्रोफेशनल नियुक्त किए जाएं। एक्सप्रेस-वे के आसपास के क्षेत्रों को औद्योगिक विकास एवं व्यावसायिक उपयोग के रूप में पहले से ही चिन्हित कर लिया जाए। एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटनाओं को न्यूनतम रखने के लिए प्रारम्भ से ही उपाय किए जाएं।

यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी तथा अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि एक्सप्रेस-वे के लिए कैबिनेट की सैद्धान्तिक सहमति प्राप्त हो चुकी है। इसका डीपीआर भी तैयार कर लिया गया है। यह एक्सप्रेस-वे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे से प्रारम्भ होकर प्रयागराज में एनएच-19 के बाईपास पर सोरांव तक जाएगा। करीब 602 किमी लंबा एक्सप्रेस-वे छह लेन का होगा और जिसका विस्तार आठ लेन में किया जा सकेगा। एक्सप्रेस-वे के सभी स्ट्रक्चर आठ लेन के बनाए जाएंगे।

श्री अवस्थी ने बताया कि एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर लगभग 37,350 करोड़ रुपए का व्यय अनुमानित है। भूमि अधिग्रहण की अनुमानित लागत 9,500 करोड़ रुपए है। एक्सप्रेस-वे का निर्माण 12 पैकेज में किया जाएगा। एक्सप्रेस-वे के निर्माण से दिल्ली-प्रयागराज की सड़क मार्ग से यात्रा लगभग छह घण्टे में की जा सकेगी, जिसमें वर्तमान में 11-12 घण्टे लगते हैं।

एक्सप्रेस-वे पर मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, हापुड़, अमरोहा ,संभल ,बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई,उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ एवं प्रयागराज पड़ेंगे। अपने संरेखण पर गंगा एक्सप्रेस-वे, दो एक्सप्रेस-वेज़, आठ राष्ट्रीय राजमार्ग, 15 राज्य मार्ग, आठ मुख्य जिला मार्ग, 28 अन्य जिला मार्ग एवं 276 ग्रामीण मार्ग को क्राॅस करेगा।

उन्होने बताया कि एक्सप्रेसवे के निर्माण में कुल 08 रेलवे ओवर ब्रिज, 15 दीर्घ सेतु, मुख्य मार्गों की क्राॅसिंग पर फ्लाईओवर/अंडरपास तथा आवश्यकतानुसार लघु सेतु एवं पुलियों का निर्माण किया जायेगा। इस परियोजना के लिये लगभग 7200 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी। सड़क सुरक्षा के दृष्टिगत एक्सप्रेस-वे पर 15 मीटर चौड़ाई का डिप्रेस्ड मीडियन भी प्रस्तावित है। यात्रियों की सुविधा एवं सड़क सुरक्षा के लिए एक्सप्रेस-वे पर प्रति 50 किमी पर वे-साइड एमेनिटीज/टॉयलेट ब्लाॅक का प्राविधान किया गया है।

इस अवसर पर औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, मुख्य सचिव आरके तिवारी, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टण्डन, अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव कुमार मित्तल, अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आलोक कुमार, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।