लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले पांच सालों में 40 हजार करोड़ के निवेश और चार लाख प्रत्यक्ष रोजगार के लक्ष्य के साथ मंगलवार को नई ‘इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति-2020’ लांच की।
आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि ‘उप्र इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति-2017’ की जबरदस्त सफलता से उत्साहत होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में नयी नीति लांच की गयी है। उप्र इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति-2017 ने निवेश तथा रोजगार लक्ष्यों को तीन वर्षों में ही अर्जित कर लिया है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र ने स्वयं को विश्व के उदीयमान मोबाइल विनिर्माण क्षेत्रों में से एक के रूप में स्थापित किया है, जिसने कई देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया है। देश में निर्मित होने वाले सभी ब्रांड के मोबाइल फोन्स में से 60 प्रतिशत से अधिक उत्तर प्रदेश में निर्मित हो रहे हैं।
उन्होने बताया कि इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण ईकोसिस्टम को और बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक्स नीति की उद्घोषणा के साथ राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक्स नीति-2019 की उदघोषणा के बाद माॅडीफाइड इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स (ईएमसी 2.0), स्कीम फाॅर प्रोमोशन आफ मैन्युफैक्चरिंग आफ इलेक्ट्रानिक कम्पोनेन्ट्स एण्ड सेमीकण्डक्टर्स (एसपीईसीएस) तथा प्रोडक्शन लिन्क्ड इन्सेन्टिव स्कीम (पीएलआई) योजना आरम्भ की गई है। प्रदेश सरकार की नई नीति निवेशकों को राज्य में आकर्षित करने के लिये अतिरिक्त लाभ देती है।
प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में इलेक्ट्रानिक्स ईकोसिस्टम को पुनः गति देने के लिए नई इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति 2020 के आच्छादन क्षेत्र को नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेसवे के वर्तमान ‘इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन’ से बढ़ाकर सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश तक विस्तारित कर दिया गया है। नीति के अन्तर्गत प्रस्तावित प्रोत्साहन उत्तर प्रदेश में कहीं भी स्थापित होने वाली इकाइयों को प्राप्त होंगे। उन्होने बताया कि क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने के लिए बुन्देलखण्ड तथा पूर्वांचल क्षेत्र में विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिये निवेशकों को दो गुनी दर से भूमि उपादान की व्यवस्था की गई है।
प्रवक्ता ने बताया कि इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण ईको सिस्टम में एमएसएमई इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार पीपीपी मोड के माध्यम से प्लग एण्ड प्ले माॅडल पर किराये की सुविधाओं को बढ़ावा देगी। एमएसएमई को सहयोग के लिए राज्य सरकार द्वारा तीन सेन्टर आफ एक्सीलेन्स की स्थापना करके ई.एस.डी.एम. उद्योग में अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सेन्टर आफ एक्सीलेन्स के रूप में विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर के सृजन की परिकल्पना है।
उन्होने बताया कि सरकार का ध्यान प्रदेश के विभिन्न भागों में मोबाइल विनिर्माण, उपभोक्ता वस्तुयें, दूरसंचार, आईटी हार्डवेयर, चिकित्सा उपकरण, रक्षा आदि क्षेत्रों पर केन्द्रित तीन इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स की स्थापना पर भी होगा। नई ‘उप्र इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति-2020’ के अन्तर्गक निवेशक 15 प्रतिशत पूंजी उपादान तथा 1000 करोड़ रूपये से अधिक के निवेश पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त पूॅंजी उपादान के लिए पात्र होंगे। अधिसूचित बैंकों/वित्तीय संस्थानों से प्राप्त ऋण पर पांच प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज उपादान अनुमन्य होगा। स्टाम्प ड्यूटी से छूट, भूमि उपादान, पेटेन्ट फाइलिंग लागत की प्रतिपूर्ति, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से छूट, ई.एम.सी. विकास तथा एकल इकाइयों के लिये प्रोत्साहन प्रदान अनुमन्य होगे।
उन्होने बताया कि बुन्देलखण्ड तथा पूर्वांचल क्षेत्र में निवेशकों को प्रचलित सेक्टर दरों पर 50 प्रतिशत भूमि उपादान प्रदान किया जाएगा। देश को एक वैकल्पिक निवेश गन्तव्य के रूप में देख रहे वैश्विक निवेशकों को लक्षित करने के लिए स्थिर पूॅंजी निवेश के 40 प्रतिशत तक पुनर्निर्मित संयंत्र, मशीनरी और उपकरणों की अनुमति होगी।
प्रवक्ता ने बताया कि फैब इकाइयों के लिये भूमि, बिजली, पानी, अवस्थापना, अंशपूंजी सहभागिता, वित्तीय प्रोत्साहन एवं गैर वित्तीय प्रोत्साहन इत्यादि सहित विशेष पैकेज पर विचार किया जाएगा। नई नीति के अन्तर्गत दिए जाने वाले प्रोत्साहन स्थिर पूंजी निवेश के 100 प्रतिशत की सीमा तक तथा भारत सरकार द्वारा प्रोडक्शन लिंक्ड प्रोत्साहन को छोड़कर अनुमन्य होगे। नीति के अन्तर्गत दिये जाने वाले समस्त प्रोत्साहन केन्द्र सरकार द्वारा दिये जाने वाले प्रोत्साहनों को छोडकर तथा उनके अतिरिक्त होंगे।