लांच हुई नई ट्रेन,एक्सीडेंट होने पर भी सुरक्षित रहेंगे यात्रीं..

नई दिल्ली,भारतीय रेलवे की 30 साल पुरानी शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेने वाली ‘ट्रेन 18′ का ट्रायल से चेन्नई में शुरू हो गया है. ये देश की पहली ‘इंजन-रहित’ ट्रेन है. यानी इसमें अलग से इंजन नहीं है. बल्कि हर कोच के नीचे ही इंजन लगा हुआ है. इसमें मेट्रो की तरह ट्रेन के आगे और पीछे गाड़ी ऑपरेट करने के लिए ड्राइवर कैबिन बनाए गए हैं.

चेन्नई में इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) द्वारा सौ करोड़ रूपये की लागत से तैयार देश की पहली मेट्रो जैसी ‘ट्रेन 18’ का अनावरण रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने  किया. माना जा रहा है कि यह पुरानी शताब्दी ट्रेनों की जगह लेगी. आइए जानते हैं ट्रेन की खासियत…

आईसीएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर सुधांशु मनी ने कहा है कि इस ट्रेन में सेफ्टी का खास ख्याल रखा गया है. इसके कोच इस तरह तैयार किए गए हैं कि किसी दुर्घटना की स्थिति में भी एक कोच, दूसरे में घुसेंगे नहीं. इससे कम से कम लोग घायल होंगे और किसी की मौत नहीं होगी. इसमें बेहतर फायर प्रोटेक्शन सिस्टम भी लगाया गया है.

आने वाले महीनों में यह परीक्षणों के दौर से गुजरेगी. कुल 16 कोच वाली यह ट्रेन सामान्य शताब्दी ट्रेन के मुकाबले करीब 15 प्रतिशत कम समय लेगी.रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने कहा कि पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेन ‘सेल्फ प्रपल्शन मॉड्यूल’ से चलेगी और अगर आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराया जाए तो इसमें देश की सबसे तेज गति से चलने वाली रेलगाड़ी बनने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि ट्रेन की पांच और इकाइयों का निर्माण वर्ष 2019-20 के अंत तक आईसीएफ द्वारा निर्माण किया जाएगा.

 भारत ने पहली बार ऐसी ट्रेन का निर्माण किया है और वह भी आईसीएफ ने महज 18 महीने में इस काम को अंजाम दिया है. आईसीएफ के मुताबिक यह ट्रेन 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है और शीघ्रता से गति पकड़ने वाली विशेषज्ञताओं से युक्त है. ट्रेन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यात्री ड्राइवर के केबिन के अंदर देख सकते हैं.ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और ट्रेन 18 के मध्य में दो एक्जिक्यूटिव कंपार्टमेंट होंगे. प्रत्येक में 52 सीट होंगी. वहीं सामान्य कोच में 78 सीटें होंगी.

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