एकल सप्ताह के समापन पर, व्याख्यान माला का आयोजन

लखनऊ,  ‘तन समर्पित मन समर्पित और ये जीवन समर्पित, चाहता हूं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं….’
‘स्वावलंबी, स्वाभिमानी भाव जगाना है, चलो गांव की ओर हमें फिर से देश बनाना है..’
जैसी भावना को आत्मसात करते हुए मंगलवार को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के समवैचारिक संगठन एकल अभियान के द्वारा स्वामी विवेकानन्द की जयंती पर एकल सप्ताह का समापन राजधानी लखनऊ में किया गया। राष्ट्रीय युवा दिवस पर माधव सभागार निरालानगर,लखनऊ में इस अवसर पर एक व्याख्यान माला का आयोजन किया गया जिसका विषय था ‘स्वामी विवेकानन्द के सपनों का भारत’।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वान्त रंजन जी रहे
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वान्त रंजन जी रहे। कार्यक्रम अध्यक्षता लखनऊ चैप्टर के अध्यक्ष उमाशंकर हलवासिया ने किया। एकल अभियान के राष्ट्रीय महामंत्री माधवेन्द्र सिंह, विशिष्ट अतिथि महापौर संयुक्ता भाटिया, मुख्य अतिथि मदन लाल जिन्दल, एकल ग्राम संगठन के भाग सचिव दिनेश सिंह राना ने अपनी बात रखी। संचालन संभाग सचिव मनोज कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में एकल अभियान से जुड़े कार्यकर्ता मौजूद रहे। संभाग प्रमुख संतोष कुमार शोले भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

स्वामी विवेकानन्द के सपनों का भारत बनाने में जुटा है ‘एकल अभियान’ : स्वान्त रंजन

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख माननीय स्वान्त रंजन जी ने कहा कि महापुरुषों का जन्मदिन उनसे प्रेरणा प्राप्त करने के लिये हम मनाते हैं। स्वामी विवेकानन्द जी का तो क्षण-क्षण प्रेरणादायी है। बचपन से लेकर अंतिम समय तक हर क्षण वे समाज के लिये जीये। उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत का स्वरूप बदलने वाला है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के एकात्म भाव से देश खड़ा होगा। एकल अभियान का भी यही काम है कि जो बच्चे नहीं पढ़ सकते स्कूल नहीं जा सकते। उन दूर-दराज के इलाकों में पहुंचकर स्कूल उन शिक्षा से वंचित बच्चों तक ले जाना है। उन्होंने कहा कि भारत का स्वरूप बदलने वाला है। काम करना है, बड़ा लक्ष्य रखना है, ऐसे में साधना भी कठिन होगी। अहंकार की भाषा नहीं सबको प्रेम के साथ लेकर चलना है। इस भाव से ही हम अपने इस काम में लगे हैं। उन्होंने कहा कि सबकी निगाहें हैं कि भारत की गति को रोकें कैंसे। दिग्भ्रमित करने वालों की चाल को हमको समझना होगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया गया उठो जागो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होने तक रुको नहीं।

स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि नया भारत झोंपड़ी से हल लेकर निकलेगा

स्वान्त रंजन जी ने इस अवसर पर स्वमी विवेकानन्द के सपनों के भारत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने कहा था कि उठो जागो और लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होने तक रुको नहीं। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि नया भारत झोंपड़ी से हल लेकर निकलेगा, झुग्गी से पहाड़ों से गुफाओं में भी नया भारत निकलेगा। उन्होंने कहा कि यही काम हमारा संगठन कर रहा है। श्री राम मंदिर आंदोलन ने बड़ी सामाजिक समरसता का संदेश दिया , स्वान्त रंजन जी ने स्वामी विवेवकानन्द के जन-गण, एकात्म भाव, सामाजिक समरसता, भूतकाल के गौरव का संस्मरण करने जैसे चार स्तंभों को श्री राम मंदिर के आंदोलन से जोड़ा। उन्होंने कहा कि श्री राम जन्म भूमि आंदोलन में देश भर में शिला पूजन करना, हर घर में सवा रुपेय दक्षिणा लेन और पौने तीन लाख गांव में इस तरह का पूजन होना उसके बाद लोगों का शिला को सिर पर रखकर अयोध्या तक विभिन्न माध्यमों से पहुंचाना कितनी बड़ी सामाजिक समरसता का उदाहरण बना। उन्होंने यह भी कहा कि इसपर भी 1981 में भारत के समाज को तोड़ने को कई कार्यक्रम हुए। मीनाक्षीपुरम की घटना हुई। अगड़ा-पिछड़ा पूरे देश में चालू हो गया। उन्होंने कहा कि श्री राम मदिंर आंदोलन ने इन सब भेदभावों को पीछे छोड़कर सामाजिक समरसता का संदेश दिया।

2025 तक शिक्षित स्वस्थ समर्थ भारत दे पाने में हम समर्थ होंगे: माधवेन्द्र

स्वामी विवेकानन्द के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलन के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। राष्ट्रीय महामंत्री माधवेन्द्र सिंह ने एकल अभियान के कार्यक्रम पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने विचार किया कि बच्चा अगर विद्यालय नहीं जा सकता तो विद्यालयों को बच्चों के पास तक जाना चाहिये। आगे चलकर इसको समर्थन दिया आरएसएस के वरिष्ठ प्रचार भाऊराव देवरस जी ने। कलकत्ता नगर से काम शुरू किया गया जो धीरे धीरे आज एक लाख दस हजार गांव तक पहुंच चुका है। इसको चार लाख गांवों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। 2022 तक यह काम पूरा हो जाएगा। 2025 तक शिक्षित स्वस्थ समर्थ भारत दे पाने में हम समर्थ होंगे।

इसके बाद महापौर समेत अन्य वक्ताओं ने संगठन और स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का समापन महिलाओं की ओर से की गई भारत माता की आरती के साथ हुआ।

एकल विद्यालय

दरअसल एकल विद्यालय एक शिक्षक वाले वो विद्यालय हैं, जिनकी शुरुआत झारखण्ड से हुई थी. इस अभियान में कई वर्षो से उपेक्षित ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी क्षेत्रों में ये विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं। एकल विद्यालय संगठन द्वारा अब तक 1 लाख से अधिक एकल विद्यालय खोले जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश में ही संगठन के 22 हजार विद्यालय संचालित हैं। एकल विद्यालय अभियान को एकल विद्यालय संगठन द्वारा ग्रामीण और जनजातीय भारत तथा नेपाल के एकीकृत और समग्र विकास के लिए शुरु किया गया है। कई ट्रस्ट और गैर-लाभकारी संगठनों की भागीदारी से यह अभियान भारत की मुख्य धारा से अलग गांवों में संचालित गैर-सरकारी शिक्षा के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा अभियान बन गया है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के विचारक अशोक सिन्हा ने बताया कि वर्ष 1990 में गठित राममूर्ति समिति की रिपोर्ट ने एकल अभियान के लिये दिशा-निर्देश बनाने और स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। एकल विद्यालय अभियान को वर्ष 2017 में गांधी शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। इस अवसर पर संभाग के अध्यक्ष भूपेंद्र (भीम) अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, विवेक रॉय, दुर्गेश त्रिपाठी, दिनेश सिंह राना सचिव एकल विधालय लखनऊ सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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